दिल्ली चुनाव 2025: क्यों हारी आम आदमी पार्टी?

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LIvekhabhar | Chhattisgarh News

दिल्ली चुनाव 2025 में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा। तीन ऐतिहासिक जीतों के बाद यह पराजय राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंकाने वाली रही। भाजपा ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की ओर कदम बढ़ा दिए हैं, और चुनावी नतीजे साफ संकेत दे रहे हैं कि दिल्ली की जनता ने बदलाव का फैसला कर लिया है। इस हार के पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं, लेकिन पांच बड़े कारण ऐसे हैं जो AAP की हार की प्रमुख वजह बने। आइए जानते हैं विस्तार से:

1. दवा: स्वास्थ्य सुविधाओं की गिरती साख

AAP सरकार के मोहल्ला क्लीनिक मॉडल और सरकारी अस्पतालों को लेकर किए गए वादे ध्वस्त होते नजर आए। मुफ्त दवाओं की अनुपलब्धता, अस्पतालों की बदहाल स्थिति और डॉक्टरों की कमी से जनता परेशान रही। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट ने आम आदमी की नाराजगी बढ़ाई, जिससे AAP के लिए मुश्किलें खड़ी हो गईं।

2. दारू: शराब नीति पर विवाद और भ्रष्टाचार के आरोप

केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति विपक्ष के लिए बड़ा हथियार बन गई। आरोप लगे कि शराब के ठेके बढ़ाकर AAP सरकार ने दिल्ली में शराब की खपत बढ़ा दी, जिससे कानून-व्यवस्था प्रभावित हुई। महिला मतदाताओं में खास नाराजगी रही क्योंकि उन्हें यह नीति सामाजिक समस्याओं को बढ़ावा देती नजर आई। वहीं, शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप और मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी ने AAP की छवि को और कमजोर कर दिया।

3. दर (शीशमहल): आलीशान बंगले पर विवाद

“आम आदमी” की छवि वाले केजरीवाल का मुख्यमंत्री आवास विवादों में घिर गया। सरकारी खर्च से 45 करोड़ रुपये की लागत से बने इस “शीशमहल” को लेकर जनता में गहरी नाराजगी देखने को मिली। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया और यह संदेश गया कि केजरीवाल अब आम आदमी नहीं रहे।

4. दीन: मुस्लिम वोट बैंक में सेंध

मुस्लिम मतदाता, जो AAP का परंपरागत समर्थन आधार माने जाते थे, इस बार बंटे हुए नजर आए। शाहीन बाग आंदोलन, दिल्ली दंगे और AAP की केंद्र के प्रति नरम नीति ने मुस्लिम वोटरों को असमंजस में डाल दिया। नतीजतन, कांग्रेस और अन्य दलों को फायदा मिला, और AAP को अपना कोर वोट बैंक खोना पड़ा।

5. कालिंदी (यमुना नदी): जल संकट और प्रदूषण

यमुना की सफाई को लेकर बड़े-बड़े वादे किए गए, लेकिन चुनाव से ठीक पहले झाग से भरी यमुना की तस्वीरों ने AAP सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए। बढ़ते जल संकट और सीवरेज की समस्या ने जनता को नाराज कर दिया। चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल की उदासीन प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे को और भड़का दिया।

दिल्ली की जनता ने बदलाव को चुना

दिल्ली में AAP की हार केवल एक दिन की घटना नहीं थी, बल्कि यह कई वर्षों की नीतिगत विफलताओं का परिणाम रही। स्वास्थ्य सेवाओं की गिरती स्थिति, शराब नीति पर विवाद, शीशमहल विवाद, मुस्लिम वोट बैंक की सेंध और जल संकट ने मिलकर AAP सरकार की लोकप्रियता को खत्म कर दिया। भाजपा ने इन मुद्दों को भुनाते हुए जनता का विश्वास जीत लिया।

भाजपा के विकास मॉडल, सड़कों और पानी की समस्याओं के समाधान के वादों ने जनता को अधिक भरोसेमंद विकल्प दिया। दिल्ली की जनता ने इस बार “रेवड़ी संस्कृति” से आगे बढ़कर बुनियादी सुविधाओं और प्रशासनिक पारदर्शिता को प्राथमिकता दी।

2025 के दिल्ली चुनावों ने यह स्पष्ट कर दिया कि राजनीति में छवि जितनी तेजी से बनती है, उतनी ही तेजी से गिर भी सकती है। आम आदमी पार्टी की यह हार सिर्फ एक चुनावी हार नहीं, बल्कि एक बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकती है।


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