बिलासपुर: छत्तीसगढ़ सिविल जज 2024 परीक्षा पर उच्च न्यायालय ने आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। यह रोक तब लगाई गई जब एक याचिका के माध्यम से परीक्षा के लिए निर्धारित कुछ शर्तों को चुनौती दी गई। यह परीक्षा 18 मई 2025 को प्रस्तावित थी।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की पीठ ने की। राज्य की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता ने पीठ को सूचित किया कि बार काउंसिल में पंजीकरण और न्यूनतम प्रैक्टिस की अनिवार्यता पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का इंतजार है। इस संदर्भ में न्यायालय ने परीक्षा पर रोक लगा दी। यह आदेश याचिकाकर्ता विनीता यादव की याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया गया।
याचिका की मुख्य आपत्ति:
यह याचिका जबलपुर निवासी विनीता यादव द्वारा दायर की गई थी। विनीता यादव वर्तमान में सरकारी सेवा में कार्यरत हैं और उन्होंने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर से विधि की डिग्री प्राप्त की है। याचिका में कहा गया कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) द्वारा 23 दिसंबर 2024 को जारी अधिसूचना में परीक्षा के लिए बार काउंसिल में पंजीकरण और अधिवक्ता के रूप में अभ्यास को अनिवार्य शर्त बताया गया है। विनीता ने इस शर्त को चुनौती दी है, क्योंकि वह सरकारी सेवा में होने के कारण बार काउंसिल में नामांकन नहीं करा सकीं, जिससे उन्हें परीक्षा में शामिल होने से वंचित होना पड़ रहा है।
शैक्षणिक सत्र 2024-25: पुराने फॉर्मूले पर बनेगी मेरिट लिस्ट
शैक्षणिक सत्र 2024-25 की परीक्षाएं मार्च के अंत तक संपन्न हो चुकी हैं। मूल्यांकन कार्य परीक्षा समाप्त होने से पूर्व ही प्रारंभ कर दिया गया था। राज्य भर में कुल 33 मूल्यांकन केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां अब तक 30 से 40 प्रतिशत उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन पूरा हो चुका है।
माध्यमिक शिक्षा मंडल ने पड़ोसी राज्यों के बोर्ड से मेरिट लिस्ट की नीति पर जानकारी मांगी थी, परंतु अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। इसलिए मंडल ने पूर्व वर्षों की नीति को ही अपनाने का निर्णय लिया है। मई के प्रथम पखवाड़े में परीक्षाओं के परिणामों के साथ अस्थायी मेरिट लिस्ट भी जारी की जाएगी।