यह मामला दिलचस्प मोड़ लेता जा रहा है! कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और चर्चित शायर इमरान प्रतापगढ़ी की एक सोशल मीडिया पोस्ट उन्हें कानूनी पचड़े में फंसा चुकी है। मामला गुजरात के जामनगर से जुड़ा है, जहां हाल ही में इमरान प्रतापगढ़ी एक सामूहिक विवाह समारोह में शामिल हुए थे। लेकिन उनकी एक पोस्ट ने ऐसा भूचाल ला दिया कि एफआईआर दर्ज हो गई और मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया।
क्या है पूरा मामला?
2 जनवरी, 2025 को इमरान प्रतापगढ़ी ने इंस्टाग्राम और एक्स पर एक वीडियो शेयर किया था। आरोप है कि इस वीडियो की पृष्ठभूमि में जोड़ा गया गीत या कविता “सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला” था। जामनगर पुलिस स्टेशन में 3 जनवरी को एक वकील के क्लर्क ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद एफआईआर दर्ज हुई।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
इमरान प्रतापगढ़ी ने एफआईआर को रद्द करवाने के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोर्ट ने उन्हें दो टूक जवाब दिया – “आप सांसद हैं, कानून की प्रक्रिया का पालन कीजिए!”
हाईकोर्ट ने कहा कि एक सांसद के तौर पर इमरान से ज्यादा जिम्मेदारी और संवेदनशीलता की उम्मीद की जाती है। कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि उन्हें जांच में सहयोग करना चाहिए और पुलिस के सामने पेश होना चाहिए।
कविता पर हुआ सवाल-जवाब
दिलचस्प मोड़ तब आया जब कोर्ट ने पूछा कि इस वीडियो में जो कविता है, वह आखिर लिखी किसने? इस पर इमरान प्रतापगढ़ी की ओर से कहा गया कि यह कविता या तो फैज़ अहमद फैज़ की है या फिर हबीब जालिब की। हालांकि, वे इसे लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं थे। उन्होंने कोर्ट में यह भी बताया कि उन्होंने इंटरनेट और चैट जीपीटी से भी इसकी जानकारी ली, लेकिन उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं मिला। उन्होंने अपने हलफनामे के साथ चैट के स्क्रीनशॉट भी पेश किए!
सरकारी वकील का पक्ष
सरकारी वकील ने दलील दी कि एक सांसद को अधिक जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इमरान प्रतापगढ़ी को 4 जनवरी को नोटिस दिया गया था और 11 जनवरी को पुलिस के सामने पेश होने को कहा गया था, लेकिन वे पेश नहीं हुए। जांच अभी शुरुआती चरण में है, और इसे रोका नहीं जा सकता।
कोर्ट का सख्त रुख
हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप भट्ट ने स्पष्ट किया कि इमरान प्रतापगढ़ी जैसे जनप्रतिनिधियों को अपने शब्दों और कृत्यों के प्रति अधिक सतर्क रहना चाहिए। कोर्ट ने कहा – “जब आप कानून बनाने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं, तो आपको कानून का सम्मान भी करना चाहिए!”
इसके साथ ही, हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने की याचिका खारिज कर दी। अब इमरान प्रतापगढ़ी को इस कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ेगा और जांच में सहयोग करना होगा।
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