बिलासपुर: हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने अपने अहम फैसले में कहा है कि हायर सेकंडरी स्कूलों में कृषि विषय के शिक्षकों की भर्ती के लिए बीएड की डिग्री अनिवार्य होगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार इस योग्यता में किसी तरह की छूट नहीं दे सकती।
यह फैसला अशोकानंद पटेल, परमानंद साहू, आंचल सहाने और महेंद्र पटेल समेत अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका पर आया। उन्होंने एडवोकेट अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाई कोर्ट में 5 मार्च 2019 की अधिसूचना को चुनौती दी थी, जिसमें कृषि शिक्षकों के लिए बीएड की अनिवार्यता को हटाया गया था।
एनसीटीई के नियमों का पालन अनिवार्य
कोर्ट ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के 12 नवंबर 2017 के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि मिडिल और हाईस्कूल शिक्षकों के लिए बीएड अनिवार्य है। राज्य सरकार बिना एनसीटीई की अनुमति के इसमें छूट नहीं दे सकती।
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वे कृषि विज्ञान में स्नातक हैं और उनके पास टीईटी के साथ बीएड/डीएलएड की योग्यता है। उन्होंने दलील दी कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी इसी तरह के मामले में राज्य सरकार की अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।
बीएड की छूट असंवैधानिक
हाई कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार एनसीटीई के नियमों को कमजोर नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट के 2021 के फैसले का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार अतिरिक्त योग्यता तो जोड़ सकती है, लेकिन न्यूनतम योग्यता को हटा नहीं सकती।
अदालत ने 2019 के नियमों में कृषि शिक्षकों के लिए बीएड की छूट को असंवैधानिक करार दिया और छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया कि कृषि शिक्षक भर्ती में बीएड को अनिवार्य किया जाए और एनसीटीई के 2014 के नियमों के अनुसार भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाए।
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