कोट्टयम नर्सिंग कॉलेज में रैगिंग का खौफनाक सच: तीन महीने तक चला अमानवीय अत्याचार, पांच छात्र गिरफ्तार

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LIvekhabhar | Chhattisgarh News
कोट्टयम : यह घटना न केवल दिल दहला देने वाली है, बल्कि हमारे समाज और शिक्षा प्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। केरल के कोट्टयम में एक सरकारी नर्सिंग कॉलेज में जो कुछ हुआ, वह इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला है। प्रथम वर्ष के छात्रों को उनके सीनियर्स ने रैगिंग के नाम पर अमानवीय यातनाएं दीं। यह दहशत तीन महीने तक चली, लेकिन कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई—क्योंकि पीड़ित छात्र डर के साये में जी रहे थे।

रैगिंग के नाम पर बर्बरता

पांच सीनियर छात्रों ने फ्रेशर्स के साथ वहशियाना हरकतें कीं। उन्हें शराब पीने के लिए मजबूर किया गया, उनके हाथ-पैर बांधकर शरीर में सुइयां चुभोई गईं, और यहां तक कि उनके प्राइवेट पार्ट्स पर भारी डंबल लटका दिए गए। जब किसी ने विरोध किया, तो उसे बेरहमी से पीटा गया। यह सब देखकर वे दरिंदे हंसते रहे।

प्रशासन की नाकामी और देर से कार्रवाई

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह अमानवीय अत्याचार तीन महीने तक चलता रहा, लेकिन कॉलेज प्रशासन को कोई भनक तक नहीं लगी—or शायद उन्होंने अनदेखा किया। जब सीनियर्स ने पीड़ितों से शराब के पैसे वसूलने शुरू किए और न देने पर मारपीट की, तब एक छात्र ने हिम्मत जुटाकर अपने माता-पिता को सब कुछ बताया। उनके माता-पिता ने तुरंत पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

कहां है एंटी-रैगिंग कानून?

भारत में रैगिंग रोकने के लिए सख्त कानून हैं, हर शिक्षण संस्थान में एंटी-रैगिंग कमेटी होती है, लेकिन फिर भी ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। कोट्टयम कॉलेज की घटना से यह साफ हो जाता है कि सीनियर छात्र आज भी फ्रेशर्स को टॉर्चर करते हैं, उनकी बेबसी पर हंसते हैं, और वे पीड़ित छात्र डर के कारण शिकायत तक नहीं कर पाते।

जिम्मेदारी से बच नहीं सकता प्रशासन

जब कॉलेज प्रिंसिपल से पूछा गया कि उन्हें इस बारे में जानकारी क्यों नहीं थी, तो उन्होंने कहा—”किसी ने शिकायत नहीं की।” क्या यह बहाना स्वीकार किया जा सकता है? कॉलेज प्रशासन की यह ज़िम्मेदारी थी कि वे सुनिश्चित करें कि रैगिंग न हो। अगर सीनियर्स ने शराब के पैसे वसूलने के लिए हिंसा न की होती, तो शायद यह दरिंदगी कभी उजागर ही नहीं होती।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सख्ती

अब इस मामले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है और केरल पुलिस के डीजीपी से 10 दिन में रिपोर्ट मांगी है। उम्मीद है कि गुनहगारों को जल्द से जल्द सजा मिलेगी और यह घटना हर कॉलेज के प्रशासन के लिए एक चेतावनी बनेगी कि वे रैगिंग जैसी घिनौनी प्रथाओं को रोकने के लिए पूरी तरह सतर्क रहें।

कोट्टयम की यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है—क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था छात्रों को सुरक्षित माहौल देने में नाकाम हो रही है? क्या रैगिंग के खिलाफ बने कानूनों को और सख्ती से लागू करने की जरूरत नहीं है? यह केवल एक कॉलेज का मामला नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है।

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