तिरुपति मंदिर भगदड़: 6 श्रद्धालुओं की मौत, जिम्मेदार कौन?

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तिरुपति मंदिर भगदड़

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में बुधवार रात मची भगदड़ के कारण 6 लोगों की जान चली गई, जबकि 43 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बताया जा रहा है कि मंदिर में हुई इस त्रासदी के पीछे प्रशासनिक लापरवाही मुख्य कारण रही। टीटीडी (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम) के अध्यक्ष बीआर नायडू ने भी अधिकारियों की लापरवाही को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

कैसे हुई भगदड़?

एकादशी के अवसर पर तिरुपति मंदिर में दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचे थे। दर्शन के लिए टोकन लेने के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई, जिससे भगदड़ मच गई। भारी भीड़ में कई लोग जमीन पर गिर पड़े और कुचले गए। मौके पर मौजूद पुलिस ने आनन-फानन में घायलों और मृतकों को अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने 6 लोगों को मृत घोषित कर दिया।

बैरिकेड्स की कमी और समन्वय का अभाव

घटना स्थल बैरागीपट्टेडा में बैरिकेड्स की कमी और प्रशासन के खराब समन्वय की वजह से स्थिति बिगड़ी। श्रद्धालुओं को टोकन जारी करने में देरी हो रही थी, जिससे नाराज भीड़ ने धक्का-मुक्की शुरू कर दी। पुलिस ने भीड़ को संभालने के लिए उन्हें पास के पद्मावती पार्क में भेज दिया।

तबीयत बिगड़ने पर खोला गया गेट

रात में एक श्रद्धालु की तबीयत बिगड़ने पर डीएसपी रमणकुमार ने उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए गेट खोलने का आदेश दिया। इसी दौरान भीड़ ने गेट पर धावा बोल दिया, जिससे भगदड़ मच गई।

सवाल उठ रहे हैं प्रशासन पर

टीटीडी ने संक्रांति पर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के लिए विशेष इंतजाम किए थे, लेकिन टोकन जारी करने वाले केंद्रों पर पुलिस और टीटीडी अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी साफ नजर आई। घंटों इंतजार के बाद गेट खुलते ही लोग बेकाबू हो गए और हादसा हो गया।

भगदड़ में घायल 48 लोगों का इलाज अस्पताल में चल रहा है। सवाल यह उठता है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए आखिर उचित व्यवस्था क्यों नहीं की गई?


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