नई दिल्ली: भारत का महत्वाकांक्षी ‘डीप सी मिशन’ तेजी से प्रगति कर रहा है और देश के शीर्ष वैज्ञानिकों ने इसे बड़ी उपलब्धि करार दिया है। हाल ही में, वैज्ञानिकों ने हिंद महासागर की गहराई में 4,500 मीटर नीचे सक्रिय ‘हाइड्रोथर्मल वेंट’ (जलतापीय छिद्र) की खोज की है। इस खोज को मिशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खोज न केवल आत्मविश्वास को बढ़ाएगी, बल्कि आगे के अन्वेषण के लिए अमूल्य अनुभव भी प्रदान करेगी। जलतापीय छिद्र महासागर के तल पर स्थित ऐसे स्थान होते हैं, जहां से गर्म पानी और खनिज निकलते हैं। ये छिद्र जीवन की उत्पत्ति और महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र के अध्ययन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
डीप सी मिशन, भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य महासागर की गहराई में स्थित खनिज, ऊर्जा और समुद्री जैव विविधता का अन्वेषण करना है। मिशन का नेतृत्व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) कर रहे हैं।
इस उपलब्धि के बाद, मिशन के वैज्ञानिक और तकनीकी दल भविष्य में समुद्र तल से दुर्लभ खनिजों की खोज और गहरे समुद्री पर्यावरण के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करेंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह मिशन न केवल भारत को महासागरीय अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी उसकी वैज्ञानिक उपलब्धियों को मजबूती देगा।
भारत का यह प्रयास महासागर विज्ञान और गहरे समुद्र के संसाधनों के सतत उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।