महाकुंभ 2025 से रोते हुए वापस लौटीं हर्षा रिछारिया, जिनकी खूबसूरती और साध्वी बनने का जज्बा पिछले कुछ दिनों से चर्चा का केंद्र बना हुआ है। निरंजनी अखाड़े के रथ पर सवार होकर सुर्खियों में आईं हर्षा ने हाल ही में महाकुंभ छोड़ने का फैसला किया। उनका कहना है कि परिस्थितियों ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया।
एक वीडियो में उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि धर्म के मार्ग पर चलते हुए उन्हें निराशा और अपमान का सामना करना पड़ा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग धर्म को जानने के उनके प्रयासों में बाधा डाल रहे हैं।
हालांकि, शनिवार को हर्षा ने अपने बयान में बदलाव करते हुए कहा कि आलोचक और प्रशंसक दोनों ही उन्हें मजबूत बना रहे हैं। उनका कहना है कि भाग्य में जो लिखा है, वह होकर रहेगा। उन्होंने दृढ़ता व्यक्त करते हुए कहा कि कठिनाईयां ही इंसान को मजबूत बनाती हैं, चाहे हालात कितने भी विपरीत क्यों न हों।
हर्षा का संदेश: “जीवन में संघर्ष चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, अगर भाग्य में राजा का मुकुट है, तो अंत में वही मिलेगा।”