संसद में मंगलवार को हुई ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी स्थायी समिति की बैठक विवादों में घिर गई। बैठक के दौरान जब विवादित सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और अभिनेता-कार्यकर्ता प्रकाश राज की उपस्थिति सामने आई, तो भाजपा सांसदों ने कड़ा विरोध जताते हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया। भाजपा सांसदों के वॉकआउट के चलते कोरम पूरा न हो पाने के कारण बैठक को स्थगित करना पड़ा।
बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका कर रहे थे और एजेंडे में भूमि संसाधन विभाग व पंचायती राज मंत्रालय की दो मसौदा रिपोर्टों पर विचार और स्वीकृति शामिल थी। साथ ही भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 की समीक्षा के लिए विभिन्न मंत्रालयों, एनजीओ और अन्य हितधारकों की गवाही भी प्रस्तावित थी।
सूची में नाम नहीं, आपत्ति हुई तेज
भाजपा सांसदों का विरोध तब भड़क उठा जब उन्हें पता चला कि मेधा पाटकर और प्रकाश राज जैसे लोगों के नाम गवाहों की सूची में पहले से नहीं दिए गए थे। सांसदों ने आरोप लगाया कि सरकार के आलोचक माने जाने वाले व्यक्तियों को समिति में बुलाना एक राजनीतिक चाल है और संसदीय चर्चा के लिए अनुपयुक्त है।
रूपाला ने किया नेतृत्व, पाटकर पर निशाना
विरोध का नेतृत्व कर रहे भाजपा सांसद पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि मेधा पाटकर वर्षों से गुजरात की जल परियोजनाओं सहित कई राष्ट्रीय विकास योजनाओं का विरोध करती रही हैं। उन्होंने तीखा बयान देते हुए कहा कि “अगर उनका बस चलता तो आज गुजरात का आधा हिस्सा सूखे की चपेट में होता।”
गवाह सूची में पारदर्शिता की मांग
भाजपा के अन्य सांसद—डॉ. संजय जायसवाल, राजू बिस्टा और जुगल किशोर—ने भी इस कदम पर आपत्ति जताई और गवाहों की सूची को लेकर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। यह भी सामने आया कि संजय जायसवाल को छोड़कर किसी अन्य सदस्य को सूची की कॉपी नहीं मिली थी, जिससे प्रक्रियात्मक अनियमितता के आरोप लगे।
प्रकाश राज की मौजूदगी भी बनी विवाद का कारण
बैठक कक्ष के बाहर अभिनेता प्रकाश राज की मौजूदगी को लेकर भी सवाल उठे, क्योंकि उनका नाम किसी आधिकारिक सूची में नहीं था। बाद में बताया गया कि लोकसभा अध्यक्ष से अनुमति ली गई थी, लेकिन भाजपा सांसदों ने इस दावे को खारिज कर दिया।
कांग्रेस सांसदों ने किया बचाव
कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और इमरान मसूद ने अध्यक्ष का बचाव करते हुए विविध विचारों की भागीदारी को उचित ठहराया और भाजपा पर बैठक को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया। वहीं, राजू बिस्टा ने जवाब में चेतावनी दी कि ऐसे फैसलों से समिति को राजनीति का मंच न बनाया जाए।
“पाटकर 45 से ज्यादा मामलों का सामना कर रही हैं”
डॉ. संजय जायसवाल ने कहा, “संसदीय कार्यवाही में यह पहली बार है कि सदस्यों को यह नहीं बताया गया कि कौन उपस्थित रहेगा। मेधा पाटकर विभिन्न सरकारों द्वारा दर्ज करीब 45-50 मामलों का सामना कर रही हैं—ऐसी शख्सियत को जनहित की प्रतिनिधि के रूप में कैसे स्वीकार किया जा सकता है?”
“गांधी परिवार के करीबियों को बुलाना संदेश देता है”
एक समिति सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “अध्यक्ष आमतौर पर संतुलित माने जाते हैं, लेकिन शायद वे पार्टी नेतृत्व के दबाव में थे। मेधा पाटकर जैसे गांधी परिवार के समर्थकों को बुलाना गलत संदेश देता है।”
अंत में बैठक स्थगित
जब अध्यक्ष ने आगे बढ़ने और एनजीओ प्रतिनिधियों की गवाही लेने पर ज़ोर दिया, तब भाजपा सांसदों ने सामूहिक रूप से वॉकआउट कर दिया। उनके जाने से कोरम पूरा न हो सका और बैठक स्थगित कर दी गई।
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