PM Modi के ‘मन की बात’ का 111वां एपिसोड, केरल के खास छाते का जिक्र, लोगों से पेड़ लगाने की अपील की
June 30, 2024 | by Nitesh Sharma
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो प्रोग्राम मन की बात का आज 111वां एपिसोड है. वह प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार आज कार्यक्रम के माध्यम से रूबरू हो रहे है. इससे पहले फरवरी में उन्होंने ‘मन की बात’ कार्यक्रम किया था, जो ‘मन की बात’ कार्यक्रम 110वां एपिसोड था. ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तीन महीने में मन की बात को लेकर लाखों मैसेज आए. मैंने कहा था कि लोकसभा चुनाव नतीजों को बाद जरूर आऊंगा और आज आप सबके बीच में हूं.
2024 का चुनाव सबसे बड़ा इलेक्शन- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात रेडियो कार्यक्रम में देशवासियों को संबोधित करते हुए लोकसभा चुनाव को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि मैं आज देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास जताया है. 2024 का चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था. दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव नहीं हुआ, जिसमें 65 करोड़ लोगों ने वोट डाले हैं. मैं चुनाव आयोग और मतदान प्रक्रिया से जुड़े हर एक व्यक्ति को इसकी बधाई देता हूं.
एक बार फिर से परिवार के बीच आया- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि मन की बात के जरिए एक बार फिर से अपने परिवार के बीच आया हूं. एक बड़ी प्यारी कहावत है, ‘इति विदा पुनर्मिलनाय’. इसका अर्थ उतना ही प्यारा है. इस लाइन का मतलब है कि मैं विदा लेता हूं फिर मिलने के लिए. मैंने फरवरी में कहा था कि मैं चुनाव के चलते आपसे बात नहीं कर पाऊंगा. चुनाव संपन्न होने के बाद एक बार फिर से मैं आपके बीच आ गया हूं.
मां के नाम पर एक पेड़ लगाएं- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम में पर्यावरण और पेड़ लगाने को लेकर चर्चा की. उन्होंने कहा कि मैं आपसे पूछूं कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा होता है तो आप जरूर कहेंगे- मां. हम मां को कुछ दे तो सकते नहीं हैं, लेकिन और कुछ कर सकते हैं क्या? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है- एक पेड़ मां के नाम. सभी से अपील की गई है कि वे अपनी मां के नाम पर एक पेड़ जरूर लगाएं.
पीएम मोदी ने वीर सिद्धो-कान्हू का किया जिक्र
पीएम मोदी ने कहा कि 30 जून का ये दिन बहुत महत्वपूर्ण है. इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन ‘हूल दिवस’ के तौर पर मनाते हैं. यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदस्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था.
उन्होंने कहा कि वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेजों का जी-जान से मुकाबला किया, और जानते हैं ये कब हुआ था? ये हुआ था 1855 में, यानी ये 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो साल पहले हुआ था, तब झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठाया था.
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