आज से लागू हुए 3 नए आपराधिक कानून, आसानी से इन 10 बिंदुओं में समझे क्या-क्या हुआ बदलाव…?

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LIvekhabhar | Chhattisgarh News

नई दिल्ली। देश में आज रात 12 बजे से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। अभी तक तो देश में भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 का भारतीय साक्ष्य अधिनियम सक्रिय चल रहा था, लेकिन अब उनकी जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा सहायता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले ली है।

10 पॉइंट में समझा देते हैं कि आखिर इन तीन नए कानून की वजह से आखिर क्या बड़ा परिवर्तन होने वाला है।

बदलाव नंबर 1– आपराधिक मामलों के जितने भी फैसला सुनाए जाते हैं, उनमें पहले सुनवाई के बाद फैसला देने में 60 दिन तक लग जाते थे, लेकिन अब यह अवधि 45 दिन की होने जा रही है यानी की 15 दिनों की कटौती।

बदलाव नंबर 2– बलात्कार पीड़ितों का जब भी मेडिकल किया जाएगा, हर कीमत पर 7 दिनों के अंदर में रिपोर्ट आनी होगी।

बदलाव नंबर 3– जो नए कानून लागू हुए हैं उसमें अब बच्चों को खरीदना या बेचना जगन्य अपराध माना जाएगा। इसी तरह अगर नाबालिक के साथ बलात्कार होता है तो आजीवन कारावास या फिर मृत्यु दंड की सजा भी मिल सकती है।

बदलाव नंबर 4– अब अगर शादी के झूठे वादे कर महिला को छोड़ दिया जाएगा तो इसको लेकर भी दंड के सख्त प्रावधान कर दिए गए हैं।

बदलाव नंबर 5– चाहे आरोपी हो या फिर पीड़ित, दोनों को 14 दिनों के अंदर में पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट मिलने का पूरा अधिकार रहने वाला है।

बदलाव नंबर 6– महिलाओं के खिलाफ जब अपराध होगा तब सभी अस्पतालों को मुफ्त में इलाज करना होगा, अगर बच्चों के साथ अपराध होंगे तब भी अस्पताल मुफ्त इलाज के लिए बाध्य रहेंगे।

बदलाव नंबर 7– इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही किसी भी मामले में FIR दर्ज की जा सकेगी, पहले की तरह पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं रहेगी। अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर भी अगर वो चाहे तो FIR दर्ज करवा पाएगा।

बदलाव नंबर 8– अगर गंभीर अपराध होंगे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स का घटनास्थल पर जाना जरूरी होगा, पहले जरूरत के मुताबिक यह फैसले लिए जाते थे।

बदलाव नंबर 9– लिंग की परिभाषा में ट्रांसजेंडर समाज के लोगों को भी शामिल कर लिया गया है। इससे समानता को बढ़ावा मिलेगा और जमीन पर स्थिति बदलेगी।

बदलाव नंबर 10– महिला पीड़िता के बयान को यथासंभव महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाना चाहिए। बलात्कार जैसे मामलों में ऑडियो-वीडियो माध्यम से बयान दर्ज होने चाहिए।

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क्या है ख़ास?

1. एक जुलाई से पहले दर्ज हुए मामलों में नए कानून का असर नहीं होगा. यानी जो केस 1 जुलाई 2024 से पहले दर्ज हुए हैं, उनकी जांच से लेकर ट्रायल तक पुराने कानून का हिस्सा होगी.
2. एक जुलाई से नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज हो रही है और इसी के अनुसार जांच से लेकर ट्रायल पूरा होगा.
3. BNSS में कुल 531 धाराएं हैं. इसके 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है. जबकि 14 धाराओं को हटा दिया गया है. 9 नई धाराएं और 39 उप धाराएं जोड़ी गई हैं. पहले CrPC में 484 धाराएं थीं.
4. भारतीय न्याय संहिता में कुल 357 धाराएं हैं. अब तक आईपीसी में 511 धाराएं थीं.
5. इसी तरह भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं. नए कानून में 6 धाराओं को हटाया गया है. 2 नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गई हैं. पहले इंडियन एविडेंस एक्ट में कुल 167 धाराएं थीं.
6. नए कानून में ऑडियो-वीडियो यानी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर जोर दिया गया है. फॉरेंसिंक जांच को अहमियत दी गई है.
7. कोई भी नागरिक अपराध के सिलसिले में कहीं भी जीरो FIR दर्ज करा सकेगा. जांच के लिए मामले को संबंधित थाने में भेजा जाएगा. अगर जीरो एफआईआर ऐसे अपराध से जुड़ी है, जिसमें तीन से सात साल तक सजा का प्रावधान है तो फॉरेंसिक टीम से साक्ष्यों की जांच करवानी होगी.
8. अब ई-सूचना से भी एफआईआर दर्ज हो सकेगी. हत्या, लूट या रेप जैसी गंभीर धाराओं में भी ई-एफआईआर हो सकेगी. वॉइस रिकॉर्डिंग से भी पुलिस को सूचना दे सकेंगे. E-FIR के मामले में फरियादी को तीन दिन के भीतर थाने पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करना जरूरी होंगे.
9. फरियादी को एफआईआर, बयान से जुड़े दस्तावेज भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है. फरियादी चाहे तो पुलिस द्वारा आरोपी से हुई पूछताछ के बिंदु भी ले सकता है.
10. FIR के 90 दिन के भीतर चार्जशीट चार्जशीट दाखिल करनी जरूरी होगी. चार्जशीट दाखिल होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट को आरोप तय करने होंगे.
11. मामले की सुनवाई पूरी होने के 30 दिन के भीतर जजमेंट यानी फैसला देना होगा. जजमेंट दिए जाने के बाद 7 दिनों के भीतर उसकी कॉपी मुहैया करानी होगी.
12. पुलिस को हिरासत में लिए गए शख्स के बारे में उसके परिवार को लिखित में बताना होगा. ऑफलाइन और ऑनलाइन भी सूचना देनी होगी.
13. महिलाओं-बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को BNS में कुल 36 धाराओं में प्रावधान किया गया है. रेप का केस धारा 63 के तहत दर्ज होगा. धारा 64 में अपराधी को अधिकतम आजीवन कारावास और न्यूनतम 10 वर्ष कैद की सजा का प्रावधान है.
14. धारा 65 के तहत 16 साल से कम आयु की पीड़ित से दुष्कर्म किए जाने पर 20 साल का कठोर कारावास, उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान है. गैंगरेप में पीड़िता यदि वयस्क है तो अपराधी को आजीवन कारावास का प्रावधान है.
15. 12 साल से कम उम्र की पीड़िता के साथ रेप पर अपराधी को न्यूनतम 20 साल की सजा, आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान है. शादी का झांसा देकर संबंध बनाने वाले अपराध को रेप से अलग अपराध माना गया है. यानी उसे रेप की परिभाषा में नहीं रखा गया है.
16. पीड़ित को उसके केस से जुड़े हर अपडेट की जानकारी हर स्तर पर उसके मोबाइल नंबर पर एसएमएस के जरिए दी जाएगी. अपडेट देने की समय-सीमा 90 दिन निर्धारित की गई है.
17. राज्य सरकारें अब राजनीतिक केस (पार्टी वर्कर्स के धरना-प्रदर्शन और आंदोलन) से जुड़े केस एकतरफा बंद नहीं कर सकेंगी. धरना-प्रदर्शन, उपद्रव में यदि फरियादी आम नागरिक है तो उसकी मंजूरी लेनी होगी.
18. गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान है. तमाम इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कागजी रिकॉर्ड की तरह कोर्ट में मान्य होंगे.
19. मॉब लिंचिंग भी अपराध के दायरे में आ गया है. शरीर पर चोट पहुंचाने वाले अपराधों को धारा 100-146 तक बताया गया है. हत्या के मामले में धारा 103 के तहत केस दर्ज होगा. धारा 111 में संगठित अपराध के लिए सजा का प्रावधान है. धारा 113 में टेरर एक्ट बताया गया है. मॉब लिंचिंग के मामले में 7 साल की कैद या उम्रकैद या फांसी की सजा का प्रावधान है.
20. चुनावी अपराध को धारा 169-177 तक रखा गया है. संपत्ति को नुकसान, चोरी, लूट और डकैती आदि मामले को धारा 303-334 तक रखा गया है. मानहानि का जिक्र धारा 356 में किया गया है. दहेज हत्या धारा 79 में और दहेज प्रताड़ना धारा 84 में बताई गई है.


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