नई दिल्ली। RAGA Is Back : कांग्रेस के राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल हो गई हैं। इसके लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना भी जारी कर दी हैं। मोदी सरनेम केस में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए 2 साल की सजा को रद्द कर दिया था। जिसके बाद कांग्रेस में ख़ुशी की लहर हैं। संसद के 2 सत्र के बाद अब राहुल गांधी की संसद में वापसी होने जा रही हैं। राहुल गांधी ने 2019 में केरल के वायनाड से चुनाव जीता था।
गुजरात हाईकोर्ट ने 23 मार्च को मोदी सरनेम मानहानि मामलें में राहुल को 2 साल की सजा सुनाई थी। जिसके 134 दिन बाद SC ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर कई सवाल उठाए और राहुल की सजा पर रोक लगाई। राहुल गांधी के वकील के तर्क पुणेश मोदी के वकील पर भारी पड़ गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस फैसले से ना केवल राहुल बल्कि वोटर्स पर भी प्रभाव पड़ता हैं।
टीवी चैनल्स पर भाजपा प्रवक्ताओं को यह बात हजम ही नहीं हो रही कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिर यह फैसला कैसे सुनाया। वह महात्मा गांधी को चोर बोलने में जरा भी नहीं कतराए। बस प्रवक्ता है तो अटैक कीजिए और वो भी बिना हिचकिचाए।
बदनाम नहीं वास्तविक शासन पर ध्यान दें : खड़गे
कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने का फैसला स्वागत योग्य कदम है। यह भारत के लोगों और विशेषकर वायनाड के लोगों के लिए राहत वाला है। भाजपा और मोदी सरकार को अपने कार्यकाल का जो भी समय बचा है, उसका इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को निशाना बनाकर लोकतंत्र को बदनाम करने के बजाय वास्तविक शासन पर ध्यान केंद्रित करके करना चाहिए।
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चुनावी रैली में दिया था बयान
राहुल गांधी कर्नाटास्क के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में बयान दिया था। राहुल ने कहा था कि ”नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?” राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था।
अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?
संसद सदस्यता हुई थी रद्द
2 साल की सजा सुनाए जानें के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी थी। दरअसल, जनप्रतिनिधि कानून में प्रावधान है कि अगर किसी सांसद और विधायक को किसी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है, तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है। इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी हो जाते हैं।