Pola Tihar Special : आज धूमधाम से मनाया जा रहा पोला तिहार, जानें महत्व और ‘पोला’ नाम पड़ने के पीछे का इतिहास
September 14, 2023 | by livekhabar24x7.com
रायपुर : Pola Tihar Special : पोला त्यौहार को मुख्य तौर पर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सहित कई प्रदेशो में मनाया जाता है। इस पर्व पर किसान और अन्य लोग पशुओं की विशेष रूप से बैल की पूजा करते है, उन्हें अच्छे से सजाते है। पोला को बैल पोला भी कहा जाता है।
वहीं भोग के लिए पारंपरिक व्यंजन भी बनाए जाते है। भारत देश कृषि प्रधान देश है, कृषि को मजबूती देने मवेशियों का मुख्य योगदान है। देश में इन मवेशियों की पूजा की जाती है, पोला का त्यौहार उन्ही में से एक है, जिस दिन कृषक गाय, बैलों की पूजा करते है।
जानें महत्व
Pola Tihar Special : भारत जहां कृषि आय का मुख्य स्रोत है और ज्यादातर किसानों की खेती के लिए बैलों का प्रयोग किया जाता है। इसलिए किसान पशुओं की पूजा आराधना एवं उनको धन्यवाद देने के लिए इस त्योहार को मनाते है। छत्तीसगढ़ में बहुत सी आदिवासी जाति एवं जनजाति रहती है।
यहाँ के गाँव में पोला के त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है। यहाँ सही के बैल की जगह मिट्टी एवं लकड़ी के बैल की पूजा की जाती है, बैल के अलावा यहाँ लकड़ी, पीतल के घोड़े की भी पूजा की जाती है।
कैसे पड़ा नाम पोला ?
Pola Tihar Special : विष्णु भगवान जब कान्हा के रूप में धरती में आये थे, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप मे मनाया जाता है, तब जन्म से ही उनके कंस मामा उनकी जान के दुश्मन बने हुए थे। कान्हा जब छोटे थे और वासुदेव-यशोदा के यहाँ रहते थे, तब कंस ने कई बार कई असुरों को उन्हें मारने भेजा था।
एक बार कंस ने पोलासुर नामक असुर को भेजा था, इसे भी कृष्ण ने अपनी लीला के चलते मार दिया था, और सबको अचंभित कर दिया था। वह दिन भादों माह की अमावस्या का दिन था, इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा। इसके पीछे एक और कहानी प्रचलित है जिसमें किसान अपने खेती किसानी के सारे काम खत्म कर अन्नमाता को आराम देते हैं। अन्नमाता इस दिन गर्भधारण करती है।
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