Save Hasdeo : हसदेव की पुकार : आज तुम मुझे बचा लो, कल मैं तुम्हें बचा लूंगा…

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महेन्द्र कुमार साहू/रायपुर। हसदेव (Hasdeo) आज चीख-चीखकर मदद की गुहार लगा रहा है। आज तुम मुझे बचा लो, कल मैं तुम्हें बचा लूंगा। प्रदेश का सबसे बड़ा वनक्षेत्र हसदेव अपनी असतित्व की लड़ाई खुद ही लड़ने को मजबूर है। अडानी के लोभ ने इसे वेंटीलेटर पर ला दिया है। लाखों जीव-जन्तुओं के आश्रय स्थल रहे हसदेव को अब प्राण वायु के संकट आ पड़े हैं।

हसदेव जैवविविधता से भरपूर है। इसे छत्तीसगढ़ का हरा फेफड़ा भी कहा जाता है। गोंड आदिवासियों का इसे सुरक्षित घर माना जाता है। यहां 82 प्रजाति के पक्षियां निवास करती है। हसदेव के भीतर 167 प्रकार की वनस्पतियां हैं। जो मानव जीवन के लिए वरदान है। यहां हाथी निवास करते हैं। ये हसदेव नदी का प्रवाह क्षेत्र भी है।

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हसदेव के कटते एक-एक पेड़ों को बचाना आवश्यक है। आज जिस तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। ये किसी से छिपी नहीं है। दुनिया ने कोरोना संकट के दौर में पेड़ों व आॅक्सीजन के महत्व को बेहतर समझा है। प्रकृति का यह अकेला दुश्मन अडानी पूरे मानव समुदाय पर कहर बनकर छा रहा है।

पूरे मानव समुदाय को इस दुश्मन के खिलाफ गृहयुद्ध छेड़ना होगा। तभी प्रकृति में प्राणवायु बच पाएगी। ये न समझे इतने पेड़ों के कट जाने से क्या होगा? कल तक इस धरा में जहां हर तरफ हरियाली थी। आज वहां फैक्ट्रियां ही फक्ट्रियां हो गई है। न हो गर विश्वास तुम्हें अपने पूर्वजों से पूछो तुम…और जागरुक होने का दो परिचय तुम…


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