गौरेला पेंड्रा मरवाही। बीते कुछ सालों से गौरेला पेंड्रा मरवाही मुख्यालय में राजस्व अमले की उदासीनता और मैनेजेबल एटीट्यूड की वजह भू माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हो चुके है कि अब वो राजस्व के बड़े अधिकारियो के फरमान की भी धज्जियां उड़ाने में तनिक भी गुरेज नही कर रहे है जिसमें ज्यादातर मामलों में परोक्ष रूप से तहसील की भी संलिप्तता देखने सुनने को मिलती है हालांकि हम कोई ऐसा प्रमाणिक दावा नहीं करते है।
ताजा मामला गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के सकोला तहसील का है ,तहसील अंतर्गत कोरबा से पेंड्रा स्टेट हाईवे रोड में शासकीय भूमि खसरा नंबर 74 रकबा 0.1050 पर अवैध कब्जाधारियों के द्वारा लगभग 25 से 30 डिसमिल बेशकीमती राजस्व की भूमि का बेधड़क अतिक्रमण कर मकान निर्माण किया जा रहा है। जहां कुछ दिनों पूर्व ही सकोला तहसीलदार के निर्देश में राजस्व अमले द्वारा स्थानीय स्थानिया भू माफिया के द्वारा लगभग 25 डिसमिल सरकारी भूमि पर हो रहे अवैध निर्माण को रोकवाया गया था।
तब लगा था कि क्षेत्र में अब भू माफियाओं की बेजा हरकतों पर थोड़ा विराम लग जायेगा किंतु अब जो तस्वीर सामने आई है वो तमाम कयासों के विपरीत है क्योंकि जिस सरकारी भूमि पे हो रहे अवैध निर्माण पर रोक लगाया गया था, अब उसी सरकारी भूमि पर कथित तौर पर स्थानीय भू माफियाओ के द्वारा पहले से भी बड़े भूखंड लगभग 30 डिसमिल पर अवैध निर्माण कराया जा रहा है।
इस मामले में स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी की मानें तो स्थानीय भू माफिया के द्वारा सरकारी भूमि पर अवैध रूप एक कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है। इसके एवज में उसके द्वारा कई लोगों से दुकान बनाकर देने के नाम पर सौदा भी किया गया है।
बहरहाल अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्ज़ा और निर्माण करने वालों को बख्शा जायेगा या उनके अवैध निर्माण के खिलाफ त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी, इस मामले में अब जिला राजस्व अमला, एक बार रोक कराने के बाद अब दूसरी बार जिला प्रशासन को चिढ़ाते हुए और बड़े सरकारी भू खंड पर हो रहे अवैध निर्माण पर कब कार्यवाही करता है…? हालांकि अब यह जानकारी भी मिल रही है कि इस मामले में तहसील कोर्ट द्वारा अनावेदक के विरुद्ध स्टे ऑर्डर भी जारी किया गया है।
बावजूद इसके कोर्ट के आदेश की अनदेखी करते हुए निर्माण कार्य कराया जा रहा है। जबकि स्टे ऑर्डर के अनदेखी पर तहसील कोर्ट और कार्य पालिक मजिस्ट्रेट के पास पर्याप्त संवैधानिक शक्तियां होती है जिससे वे स्टे ऑर्डर की अवमानना करने वाले की खिलाफ कानून सम्मत कार्यवाही कर सकें, लेकिन इस मामले में शुरू से ही तहसील कार्यालय का रवैय्या अन्य मामलों के बनिस कुछ उदासीन ही देखने को मिला है।
वैसे प्रावधान तो यह भी है सरकारी भूमि पर आदतन कब्जा और निर्माण करने वाले के खिलाफ अगर कार्यपालिक मजिस्ट्रेट चाहें तो सीधे तौर पर एफआईआर भी दर्ज करा सकता है।