Political Drama : 1. अंबिकापुर में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान @INCIndia अध्यक्ष मल्लिकार्जुन @kharge जी और @RahulGandhi ने गारंटी दी थी कि एमएसपी को कानूनी दर्जा दिया जाएगा और कीमतें स्वामीनाथन फॉर्मूले से तय होंगी। इस बीच, 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय किसानों को उत्पादन लागत का 1.5 गुना एमएसपी के साथ स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने का प्रधानमंत्री का वादा जुमला साबित हुआ है। कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत के बाद भी प्रधानमंत्री ने इसपर कोई पहल नहीं की। स्वामीनाथन आयोग पर प्रधानमंत्री का रुख आख़िर क्या है? क्या वह एमएसपी पर आयोग की सिफारिशें लागू करेंगे या नहीं करेंगे?
2. सरगुजा लोकसभा से भाजपा के उम्मीदवार प्रधानमंत्री वॉशिंग मशीन योजना के नए लाभार्थी हैं। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पूर्व विधायक चिंतामणि महाराज बीजेपी में शामिल हो गए। भाजपा के सबसे महत्वपूर्ण फ्रंटल संगठन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोयला लेवी घोटाले में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। चुकी भारतीय दंड संहिता की कई धाराएं लागू थी, इसलिए ईडी ने कथित घोटाले का विवरण भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को भेज दिया और उन व्यक्तियों को सूचीबद्ध किया जिनके खिलाफ वह चाहता था कि एसीबी प्राथमिकी दर्ज करे। दिलचस्प बात यह है कि ईडी के पत्र में जहां एफआईआर में 35 लोगों के नाम शामिल हैं – जिनमें से कई कांग्रेस से जुड़े हुए हैं, वहीं उसमें चिंतामणि महाराज का नाम नहीं था। ईडी की सूची में शामिल होने के बावजूद चिंतामणि महाराज का नाम एफआईआर से क्यों हटा दिया गया? क्या #BJPWashingMachine ने उन्हें किसी कथित गलत काम से छुटकारा दिलाया?
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Political Drama : 3. घने, जैव विविधता से भरपूर हसदेव अरण्य वन, जिसे “राज्य का फेफड़ा” माना जाता है, भाजपा और उनके पसंदीदा मित्र, अडानी एंटरप्राइजेज के कारण ख़तरे में है। जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी, तो जंगल की रक्षा के लिए केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने इस जंगल में 40 कोयला ब्लॉक रद्द कर दिए थे। जब भाजपा सत्ता में वापस आई है, तब उन्होंने इस फ़ैसले को पलट दिया है और आदिवासी समूहों और एक्टिविस्ट्स के ज़बरदस्त विरोध के बावजूद, अडानी के स्वामित्व वाले परसा कोयला ब्लॉक में खनन फिर से शुरू कर दिया है। विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि हसदेव अरण्य के विनाश से आदिवासी समुदायों की आजीविका को ऐसी क्षति होगी जिसकी पूर्ति नहीं की जा सकती है, साथ ही पर्यावरण और वन्य जीवन को भी गंभीर नुक़सान होगा, जिससे मानव-हाथी संघर्ष की स्थिति और ख़राब हो सकती है। प्रधानमंत्री और भाजपा इतनी बेरहमी से छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के जीवन को कैसे ख़तरे में डाल सकते हैं?
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Political Drama : 4. भाजपा के सत्ता में आने के महज छह महीने बाद ही छत्तीसगढ़ के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति ख़राब हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री के रूप में @TS_SinghDeo के नेतृत्व में, छह पीएचसी को उनकी असाधारण सेवाओं और मरीज़ों के बेहतर देखभाल के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) प्रमाणन से सम्मानित किया गया था। लेकिन, भाजपा ने सत्ता में आने के बाद से डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों का बड़े पैमाने पर ट्रांसफर शुरू किया। परिणामस्वरूप, पहले एनक्यूएएस प्रमाणित पीएचसी अब “भूत केंद्र” बन गए हैं, और एक चौकीदार द्वारा मरीजों को इंजेक्शन लगाने का चिंताजनक फुटेज सामने आया है, जो स्थिति की भयावहता को दर्शाता है। कांग्रेस सरकार में छत्तीसगढ़ पीएचसी में जो विकास हुआ था उसे भाजपा सरकार क्यों बर्बाद करने पर तुली है?