रायपुर। देश 15 अगस्त, 1947 के दिन आजादी का सूरज देखने में सफल रहा। वहीं कल यानि 15 अगस्त को देशवासी 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे। इस आजादी को पाने के लिए लाखों वीर सपूतों ने अपने प्राणों की बलि दी थी। 15 अगस्त, 1947 को कई सालों के संघर्ष के बाद ब्रिटिश संसद ने आखिरकार भारत को आज़ाद करने का फ़ैसला किया। ऐसा करने के लिए, संसद ने भारत के अंतिम ब्रिटिश गवर्नर जनरल लुइस माउंटबेटन को 30 जून, 1948 तक भारत को सत्ता हस्तांतरित करने का आदेश दिया।हालांकि, माउंटबेटन ने तारीख को आगे बढ़ाने का फैसला किया और भारत सरकार को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए 15 अगस्त, 1947 को चुना।
आजादी के एक दिन पहले क्या हुआ?
14 अगस्त की मध्य रात्रि में जब भारत की आजादी की घोषणा हुई तो उसी वक्त से देश का शासन ब्रिटिश साम्राज्य से छिन गया और भारतीयों का अपना शासन स्थापित हो गया। तभी जवाहर लाल नेहरू समेत भारतीय विधान परिषद के सभी सदस्यों ने आजाद भारत की सेवा करने का संकल्प लिया।
14 अगस्त, 1947 को गुरुवार का दिन था। इसी तारीख को आधी रात में भारत ने नए युग में प्रवेश किया। इसी दिन ब्रिटिश दासता की दो दशक लंबी अंधकारमय अवधि से निकलकर स्वतंत्रता का नया सूरज देखा था हमने। तत्कालीन भारतीय विधान परिषद की आधी रात में बैठक हुई और भारत की आजादी का ऐलान हुआ।
इसके साथ ही देश के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख आंसुओं से लिखी गई है। यही वह दिन था, जब देश का विभाजन हुआ और 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान तथा 15 अगस्त, 1947 को भारत को एक अलग राष्ट्र घोषित कर दिया गया। इस विभाजन में न केवल भारतीय उप-महाद्वीप के दो टुकड़े किए गए, बल्कि बंगाल का भी विभाजन किया गया और बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग करके पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया, जो 1971 के युद्ध के बाद बांग्लादेश बना।
14 अगस्त 1947 के आसपास भारत में विभाजन की प्रक्रिया के कारण कई क्षेत्रों में साम्प्रदायिक हिंसा और शरणार्थियों का विस्थापन हुआ। विभाजन के दौरान लाखों लोग अपने-अपने देशों की ओर प्रवासित हुए, जिससे भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में बड़ी संख्या में शरणार्थी समस्या उत्पन्न हुई।
पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के साथ-साथ, भारतीय संदर्भ में इस दिन ने विभाजन के दर्दनाक और महत्वपूर्ण प्रभावों को याद करने का अवसर भी प्रदान किया। भारत में विभाजन के कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक चर्चाएँ आज भी इस दिन के आसपास होती हैं।
विभाजन के परिणामस्वरूप भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और राजनीति के कई पहलुओं को नया रूप मिला। यह दिन भारतीय राजनीति, समाज और इतिहास पर विभाजन के प्रभावों को समझने और समीक्षा करने का एक अवसर भी है।