भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों को एक और बड़ी सफलता मिली है। केंद्र सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत 250 किलोग्राम वजनी रोवर चंद्रमा की सतह का विस्तृत अध्ययन करेगा। यह रोवर चंद्रयान-3 में भेजे गए 25 किलोग्राम के रोवर ‘प्रज्ञान’ से 10 गुना भारी होगा। इसरो (ISRO) अध्यक्ष वी. नारायणन ने 16 मार्च को इस महत्वपूर्ण घोषणा की, यह भी बताया कि इस मिशन में जापान भारत का सहयोगी होगा।
चंद्रयान-5 मिशन: 2027 में लॉन्च, चंद्रमा से नमूने लाने का लक्ष्य
इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने आगे के मिशनों पर चर्चा करते हुए बताया कि चंद्रयान-4 मिशन 2027 में लॉन्च किया जाएगा। इसका उद्देश्य चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों के नमूने इकट्ठा कर उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है। इस मिशन की लागत 2104 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है और इसमें पांच अलग-अलग मॉड्यूल होंगे।
ISRO के भविष्य की योजनाएँ
- 2025: गगनयान मिशन के तहत 3 भारतीय अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी से 400 किमी ऊपर भेजे जाएंगे।
- 2028: भारत का पहला अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च किया जाएगा, जिसमें 5 मॉड्यूल होंगे।
- मार्च 2028: वीनस ऑर्बिटर मिशन की योजना बनाई गई है।
- 2040 तक: ISRO भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने की तैयारी कर रहा है।
चंद्रयान-3 की उपलब्धि
गौरतलब है कि चंद्रयान-3 मिशन में 25 किलोग्राम वजनी रोवर ‘प्रज्ञान’ भेजा गया था, जिसने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की। इस सफलता के साथ भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया था।
भारत के बढ़ते अंतरिक्ष मिशन वैश्विक स्तर पर इसकी वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं को मजबूत कर रहे हैं।
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