
नई दिल्ली। राजधानी में 1 जुलाई 2024 से लागू हुए ‘एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल’ (ELV) नियम को लेकर विरोध के सुर तेज हो गए हैं। दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रवेश वर्मा ने इस नीति को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि दिल्ली पहले ही ट्रैफिक जाम और वायु प्रदूषण से जूझ रही है, ऐसे में बिना किसी ठोस योजना के ELV नियम लागू करना आम जनता पर एक और बोझ लादने जैसा है।
प्रवेश वर्मा का कहना है कि किसी वाहन को उसकी उम्र नहीं, बल्कि उसके प्रदूषण स्तर के आधार पर प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब नोएडा और गुरुग्राम जैसे एनसीआर के अन्य क्षेत्रों में यह नियम लागू नहीं है, तो फिर केवल दिल्ली में इसे क्यों लागू किया गया? मंत्री ने बताया कि इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के बीच एक अहम बैठक प्रस्तावित है, जिसमें नियमों पर पुनर्विचार की संभावना है।
वहीं दूसरी ओर, ELV नियमों को लागू करने में तकनीकी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन) कैमरों में तकनीकी खामियों को लेकर चिंता जताई गई है।
पर्यावरण मंत्री ने CAQM को पत्र लिखकर 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन न देने के नियम पर पुनर्विचार की मांग की है। उधर, Delhi Petrol Dealers Association ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में कहा गया है कि पेट्रोल पंप संचालक कानून प्रवर्तन एजेंसी नहीं हैं, फिर भी नियम न मानने पर उन्हें दंडित किया जा रहा है।
हाईकोर्ट ने सरकार और CAQM से सितंबर तक जवाब मांगा है और निर्देश दिया है कि अगर किसी पंप मालिक के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो उसे अदालत की जानकारी में लाया जाए।
गौरतलब है कि CAQM के निर्देशों के अनुसार दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन नहीं दिया जाएगा। हालांकि, CNG वाहनों को इस नियम से छूट दी गई है। नियम के क्रियान्वयन के लिए दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम निगरानी कर रही है।