नई दिल्ली। Ajab – Gajab : रोजाना देश में कई अजब-गजब मामले सामने आते रहते हैं। इसी बीच आज यानी 3 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने उस याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया, जिसमें पुरुषों के लिए भी महिला आयोग की तरह राष्ट्रीय आयोग बनाए जाने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने इस मांग को ठुकराते हुए कहा कि कोई भी ख़ुदकुशी नहीं करना चाहता। प्रत्येक मामले में अलग परिस्थितियां होती हैं।
दरअसल, वकील महेश कुमार तिवारी ने यह याचिका दाखिल की थी। जिसमें कोर्ट से कहा गया था कि घरेलु हिंसा से पीड़ित विवाहित पुरुषों की आत्महत्या करने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। साथ ही याचिका में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) का आंकड़ा भी कोर्ट के समक्ष रखा गया है।
याचिका में ये भी मांग की गई थी कि पुरुषों की समस्याओं को समझने और उनके निराकरण के लिए एक आयोग का गठन किया जाना चाहिए। इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या वह शादी के फ़ौरन बाद मरने वाली युवा लड़कियों का डेटा दे सकते हैं ? अदालत ने कहा कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहता, यह निजी मामले के तथ्यों पर निर्भर करता है।