भोपाल। Another Cheetah Died : नामीबिया से MoU साइन कर लाए गए चीतों की मौत का सिलसिला जारी है। एक और चीते की आज मौत हो गई हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव ने मादा चिता धात्री के मृत्यु की पुष्टि की हैं। बताया जा रहा है कि मादा चीता तब्लीशी पार्क में मृतक पाई गई है।
फिलहाल मौत का कोई कारण सामने नही आ पाया है। कूनो नेशनल पार्क के प्रबंधन की ओर से बयान भी जारी किया गया हैं। जिसमें बताया गया है कि मादा चीता की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए उसके शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है।
अब बचे है सिर्फ इतने
Another Cheetah Died : नामीबिया से कूनों नेशनल पार्क में 4 महीनों में 6 चीतों और तीन शावकों समेत 9 चीतों की मौत हो चुकी हैं। जारी किए गए बयान में बताया गया है कि 14 चीते (7 नर, 6 मादा और एक शावक) स्वस्थ हैं। जिससे इस प्रोजेक्ट को लेकर भी अब पार्क प्रबंधन की परेशानियां बढ़ गई हैं। फिलहाल मादा चीता की मौत को लेकर अब तक कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है।
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कूनो नेशनल पार्क में ही रहेंगे चीते
इससे पहले, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा था कि चीते कूनो नेशनल पार्क में ही रहेंगे। उन्होंने कहा था कि हम अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों समेत विशेषज्ञों के संपर्क में हैं। हमारी टीम वहां का दौरा करेगी। चीतों को शिफ्ट नहीं किया जाएगा और वे कूनो में ही रहेंगे।
सरकार ने SC को दिया था ये जवाब
Another Cheetah Died : पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट को कुनों में चीतों की मौत को लेकर जवाब दिया था। शीर्ष अदालत को बताया गया था कि कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य (केएनपी) में पांच वयस्क चीतों और तीन शावकों की मौत परेशान करने वाली है, लेकिन अनावश्यक रूप से चिंताजनक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि हालांकि एहतियात बरतते हुए चीतों की चिकित्सकीय जांच की जा रही है।
प्रोजेक्ट चीता के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुल 20 चीतों को मध्य प्रदेश के केएनपी लाया गया था। बाद में नामीबियाई चीता ज्वाला से चार शावकों का जन्म दिया था। इस प्रकार कुल 24 चोतों में से तीन शावकों समेत आठ की मौत हो चुकी है। मौत का कारण चीतों में रेडियो कॉलर के कारण फैला संक्रमण बता गया था।
पर्यावरण मंत्रालय और एनटीसीए की ओर से दायर संयुक्त हलफनामे में चीतों की मौत का कारण प्राकृतिक बताया गया है। इसमें कहा गया है कि किसी भी चीते की मौत अप्राकृतिक कारणों जैसे शिकार, जहर, दुर्घटना, बिजली के झटके आदि से नहीं हुई है। इसमें कहा गया है कि देश के पारिस्थितिकी तंत्र के चलते व्यस्क चीतों की जीवित रहने की दर बहुत कम 50 प्रतिशत है।
सरकार ने वैकल्पिक स्थलों की दी जानकारी
पर्यावरण मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने उच्च न्यायलय को बताया है कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान के अलावा मध्य प्रदेश और राजस्थान में चीता के लिए वैकल्पिक एवं संभावित स्थलों की पहचान की है। इनमें मध्य प्रदेश में गांधी सागर और नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य, राजस्थान में शाहगढ़ बुलगे, भैंसरोड़गढ़ और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व शामिल हैं। हालांकि, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व वर्तमान में चीतों को रखने के लिए उपयुक्त नहीं है।