Big Breaking : जैन मुनि विद्यासागर महाराज ने डोंगरगढ़ में ली समाधी, देर रात त्यागा शरीर, छत्तीसगढ़ में आधे दिन का‌ राजकीय शोक

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Big Breaking : डोंगरगढ़ : जैन मुनि विद्यासागर महाराज ने देर रात अपना शरीर त्याग दिया है। जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज 17 फरवरी की रात 2:35 पर समाधि लीको ब्रह्मलीन हो गए थे। उन्होंने तीन दिन पहले उपवास धारण किया था। इससे पहले उन्होंने अन्य जैन मुनियों की मौजूदगी में संघ संबंधी सभी कार्यों से निवृत्ति ले ली और उसी दिन आचार्य का पद भी त्याग दिया था।

जैन धर्म के प्रमुख संत आचार्य विद्यासागर जी महाराज के देवलोक गमन पर छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में आधे दिन के राजकीय शोक का ऐलान कर दिया है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने श्रद्धांजलि दी है।

आज डोंगरगढ़ में होगा अंतिम संस्कार

जैन मुनि आचार्य श्री के शरीर त्यागने की खबर मिलते ही जैन समाज के अनुयायी बड़ी संख्या में डोंगरगढ़ में जुट रहे हैं। आज रविवार को डोला चंद्रगिरी तीर्थ डोंगरगढ़ में दोपहर लगभग 1 बजे उनकी अंतिम संस्कार विधि होगी। सल्लेखना के अंतिम समय बड़ी संख्या में जैन मुनि और समाज के लोगों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस दौरान बड़ी संख्या में जैन धर्म मौजूद रहेंगे।

छत्तीसगढ़ में आधे दिन के राजकीय शोक का ऐलान

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया X पर जैन मुनि के देवलोक गमन पर दुख जताते हुए आधे दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने X पर लिखा है कि वर्तमान के वर्धमान कहे जाने वाले विश्व प्रसिद्ध दिगंबर जैन मुनि संत परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज जी आज ब्रह्मलीन हो गए। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पवित्र आत्मा के सम्मान में आज आधे दिन का राजकीय शोक रखा गया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा तथा कोई राजकीय समारोह/कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जायेंगें।

LIvekhabhar | Chhattisgarh News

 

प्रधानमंत्री मोदी ने श्रद्धांजली दी

जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के ब्रह्मलीन होने को प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट कर लिखा, “आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे। वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई भेंट मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगी। तब आचार्य जी से मुझे भरपूर स्नेह और आशीष प्राप्त हुआ था। समाज के लिए उनका अप्रतिम योगदान देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा।”

 


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