Live Khabar 24x7

बुजुर्ग मां की सेवा नहीं करने पर बच्चों का सम्पत्ति में कोई अधिकार नही…जानिए महिला आयोग ने क्यों सुनाया ये फरमान?

February 21, 2024 | by livekhabar24x7.com

 

रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य डॉ. अर्चना उपाध्याय ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 238 वीं सुनवाई हुई। रायपुर जिले में कुल 114 वीं जनसुनवाई।

आज के एक प्रकरण में अनावेदिका को लेकर नारी निकेतन की कर्मचारी उपस्थित हुई। इस प्रकरण में सुनवाई के दौरान पता चला था कि अनावेदिका के द्वारा आवेदिका के पति के घर जाकर अवैधानिक रूप से निवासरत् थी। जिसके कारण आवेदिका और उसकी 4 बेटियों का जीवन तबाह हो रहा था। अनावेदिका को समझाइश दिये जाने पर उसने अपना आदत व्यवहार सुधारने का आश्वासन दिया तथा अनावेदिका के पति ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया इस आधार पर अनावेदिका को उसके पति के साथ उसकी जिम्मेदारी पर भेजे जाने का निर्देश देकर नारी निकेतन तथा काउंसलर को 1 वर्ष की निगरानी किये जाने का निर्देश दिया गया ताकि अनावेदिका के द्वारा आवेदिका के घर पर दुबारा दखल बना दिया जाय।

LIvekhabhar | Chhattisgarh News

एक अन्य प्रकरण में अनावेदक के द्वारा बार-बार आयोग के निर्देश की अवहेलना व आवेदिका का चरित्र हनन किया गया आवेदिका के दो बच्चे एक पुत्र व एक पुत्री है। आवेदिका के पति की मृत्यु के बाद दोनो बच्चों के पालन-पोषण के लिए सम्पत्ति में कोई हिस्सा अनावेदक द्वारा नहीं दिया जा रहा है। अनावेदक की पूर्व स्व. पत्नी के नाम पर एक मकान बलौदाबाजार में स्थित है जिसमें आवेदिका व दोनो बच्चों के निवास की व्यवस्था किया जायेगा। इस हेतु आयोग की टीम मौके पर जाकर आवेदिका के दोनो बच्चों के नाम पर अनावेदक से स्टाम्प पर इकरारनामा करायेगी। इस हेतु थाना प्रभारी को पत्र लिखा जायेगा व आयोग की टीम द्वारा संपूर्ण कागजी कार्यवाही किया जाकर आयोग में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद अंतिम निर्णया लिया जायेगा।

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदिका के बेटे के साथ प्रेम विवाह किया है और अब जबरदस्ती सम्पत्ति में हक के लिए अनावेदिका से लड़ाई-झगडा कर रही है। आवेदिका व उसका पत्ति अनावेदिका (सास) के साथ नहीं रहते है ना ही बुढी सास की सेवा करते हैं। यह प्रकरण औचित्यहीन होने के कारण नस्तीबध्द किया गया।

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदकगणों के विरुध्द कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत की थी। जिसकी जांच आंतरिक परिवाद समिति को करना होता है। आवेदिका व अनावेदक को निर्देश दिया गया कि वह विभाग के आतरिक जांच समिति के समक्ष इस मामले की सुनवाई कराकर कमेटी के द्वारा 2 माह के अंदर आयोग में रिपोर्ट पेश करे। ताकि प्रकरण को आगे सुना जा सके।

एक प्रकरण में अनावेदक के द्वारा की गई प्रताड़ना से तंग आकर आवेदिका अपने मायके में निवास कर रही है। अनावेदक को 12 हजार रू. वेतन मिलता है। अनावेदक ने आवेदिका को 5000 रू. महिना देने की बात कही व अनावेदक द्वारा आवेदिका का सारा सामान उसे वापस किया जायेगा। इस प्रकरण में काउंसलर की नियुक्ति की गई।

RELATED POSTS

View all

view all