रायपुर। CM भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) आज साइंस कॉलेज मैदान में आभार सम्मेलन कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया भी मौजूद रहे। प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आई महिला स्व-सहायता समूह की सदस्यों, मितानिनों, आंगनबाड़ी सहायिकाओं ने गजमाला से मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत किया।
मुख्यमंत्री बघेल ने उत्कृष्ट कार्य के लिए छह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और पांच मितानिनों को किया सम्मानित। वही मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित सामानों की प्रदर्शनी और स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं से संबंधित स्टॉल का निरीक्षण किया।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नंदिनी ने मुख्यमंत्री बघेल के प्रति आभार व्यक्त किया
धरसींवा की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नंदिनी ने मुख्यमंत्री बघेल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा मानदेय सिर्फ 5000 रुपये था, जिससे घर चला पाना सम्भव नहीं था।
मुख्यमंत्री जी ने मानदेय बढ़ाकर 10 हजार रुपए किया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता साधना देवांगन ने छत्तीसगढ़ी में मुख्यमंत्री बघेल का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अब कुपोषण दर में कमी आयी है। पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका जब सेवानिवृत्त होते थे तो सिर्फ एक प्रमाण पत्र मिलता था। परंतु अब सेवानिवृत्त होने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 50 हजार रुपए तथा सहायिका को 25 हजार रुपए की राशि मिलती है।
रायपुर के भांटागांव से पहुंची लक्ष्मी साहू ने भी अपनी बात रखी। अपने संबोधन में बताया कि हम लोग घर घर जाते हैं। गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में एडमिट कराते हैं। छोटी छोटी बातों को बताते हैं जो गर्भवती माताओं के लिए उपयोगी होती हैं। टीकाकरण का ध्यान रखती हूं। बीपी की दवा कई लोग बीच में बंद कर देते हैं। उन्हें कहते हैं कि बीच में दवा मत छोड़ो, नहीं तो खतरा हो जाएगा। एक एक बारीकी का ध्यान रखते हैं।
लक्ष्मी ने कहा, अब मानदेय के निर्णय से हम लोग बहुत खुश हैं। मुझे यकीन नहीं हुआ था कि यह हो सकता है। बहुत खुशी का क्षण था यह मेरे लिए। इसलिए हम सभी बहनें आभार के लिए जुटी हैं।
मितानिन प्रेम ज्योति ने हल्बी में जताया मुखयमंत्री का आभार
मितानिन प्रेम ज्योति बघेल ने अपने संस्मरण साझा किए। वे बस्तर से हैं। हल्बी में अपना संबोधन देते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में कड़ी मेहनत करती हूं। उन्होंने बताया कि उनके गांव में साढ़े 3 सौ लोग हैं। यहां गर्भवती माताओं को देखती हूँ। साथ ही सामान्य बीमारियों में जरूरत पड़ने वाली दवाई देती हूँ। अब 2200 मानदेय दिया है तो 7 हजार रुपये तक महीना कमा लुंगी। अपने बच्चों को पढ़ाऊंगी।