नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जस्टिस कांत ने अपने फैसले में कहा कि केजरीवाल को सीबीआई मामले में 10 लाख रुपये के बेल बॉन्ड पर जमानत दी जाती है। साथ ही उन्हें ऑफिस जाने और मामले पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करने का निर्देश दिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भुइयां ने आदेश जारी रखते हुए कहा कि वे यह समझ पाने में असफल हैं कि केजरीवाल को गिरफ्तार करने में सीबीआई को इतनी जल्दबाजी क्यों थी, जबकि उसने उन्हें 22 महीने तक गिरफ्तार नहीं किया था और उन्हें तभी गिरफ्तार किया जब वे ईडी मामले में जमानत पाने के कगार पर थे। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी शक्तियों का संयम से प्रयोग किया जाना चाहिए, किसी व्यक्ति की एक दिन के लिए भी अनावश्यक गिरफ्तारी एक दिन ज्यादा है। उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा केजरीवाल की विलम्ब से की गई गिरफ्तारी अनुचित है।
दरअसल, केजरीवाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी और जमानत से दिल्ली हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। पीठ ने पांच सितंबर को केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख को 26 जून को गिरफ्तार किया था।
केजरीवाल को इन शर्तो का करना होगा पालन
- अरविंद केजरीवाल न तो मुख्यमंत्री कार्यालय और न ही सचिवालय जा सकेंगे।
- किसी भी सरकारी फाइल पर तब तक दस्तखत नहीं करेंगे जब तक ऐसा करना जरूरी न हो।
- अपने ट्रायल को लेकर कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं करेंगे।
- किसी भी गवाह से किसी तरह की बातचीत नहीं करेंगे।
- इस केस से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक पहुंच नहीं रखेंगे।
- जरूरत पड़ने पर ट्रायल कोर्ट में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे।