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Farming With Customised Helicopter : देश के पहले किसान जो करेंगे करोड़ो के हेलीकॉप्टर से खेती, हो रही कमाई की उड़ जाएंगे होश

July 3, 2023 | by livekhabar24x7.com

नई दिल्ली। Farming With Customised Helicopter : छत्तीसगढ़ की किसानी में अब बदलाव आने जा रहा है। किसानी में आधुनिकता लाने की नियत रखने वाले किसान राजाराम त्रिपाठी ने बस्तर के आदिवासियों को जैविक खेती से जोड़कर अपने साथ उन्हें भी आर्थिक रूप से संपन्न बनाया है। उन्होंने कहती करने के लिए 7 करोड़ रुपए में हेलीकॉप्टर खरीदने का फैसला लिया है।

LIvekhabhar | Chhattisgarh News

Farming With Customised Helicopter : अबतक खेती किसानी में उपयोग होने वाला हेलीकॉप्टर होलैंड की कंपनी रॉबिंसन तैयार कर रही है, जो 4 सीटर वाले R44 मॉडल है। हॉलैंड की कंपनी ने 4 साल के अंदर हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने का फैसला किया है। बता दें कि राजाराम त्रिपाठी खुद कि कंपनी मां दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप का हर साल का 25 करोड़ टर्न ओवर कर रही है।

इस कंपनी में 400 आदिवासी परिवार कुल 1 हजार एकड़ की सामूहिक खेती कर रहे है। मां दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप यूरोप और अमेरिकी देशों में काली मिर्च निर्यात कर रहा है। बस्तर के कोंडागांव निवासी राजाराम त्रिपाठी सफेद मूसली और जैविक खेती के लिए भी जाने जाते है।

उन्होंने ग्रीनहाउस टेक्निक को ऑट्रेलियन टीक वुड के साथ खेती में इस्तेमाल कर काली मिर्च तैयार की है। ऐसी प्राकृतिक ग्रीनहाउस टेक्निक की लागत करीब एक से डेढ़ लाख रुपए है। वहीं 40 साल तक प्रति एकड़ करोड़ों रुपए की कमाई की जा सकती है।

हो चुके सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड से सम्मानित

Farming With Customised Helicopter : किसानी से करोड़ों की कमाई करने वाले राजाराम त्रिपाठी को भारत सरकार के कृषि एवं खाद्य परिषद एवं कृषि मंत्रालय की तरफ से तीन बार देश का सर्वश्रेष्ठ किसान घोषित किया जा चुका है। राजाराम त्रिपाठी का कहना है कि गरीब और बदहाल किसान की छवि युवाओं को खेती-किसानी के लिए प्रेरित नहीं कर सकती। नई पीढ़ी के युवा आईटी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं, पर वे खेती को उद्यम बनाने की कोशिश नहीं करते।

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युवाओं मे पैदा होगी नई सोच

इसी सोच को बदलने के लिए राजाराम त्रिपाठी हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं ताकि युवा पीढ़ी में खेती किसानी को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हो। राजाराम त्रिपाठी उज्जैन के एविएशन एकेडमी से हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण भी लेने जा रहे हैं।

खेती में हेलीकॉप्टर का यूज

राजाराम त्रिपाठी बताते है कि इंग्लैंड और जर्मनी में उन्होंने देखा था कि वहां दवा-खाद के छिड़काव में हेलीकॉप्टर का उपयोग हो रहा है। त्रिपाठी मां दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप के साथ 1000 एकड़ के खेत के अलावा आसपास के खेती वाले इलाकों में भी इस हेलीकॉप्टर का प्रयोग करना चाह रहे हैं। इसके लिए राजाराम त्रिपाठी कस्टमाइज्ड हेलीकॉप्टर बनवा रहे हैं ताकि उसमें मशीन भी लगाई जा सके।

प्रतापगढ़ से बस्तर पहुंचा परिवार

राजाराम त्रिपाठी के दादा शंभू नाथ त्रिपाठी 70 साल पहले प्रतापगढ़ जिले से छत्तीसगढ़ में आकर खेती शुरू की। त्रिपाठी के पिता जगदीश प्रसाद त्रिपाठी शिक्षक थे। जगदलपुर कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद वह एसबीआई में पीओ बनकर कोंडागांव चले आए। राजाराम त्रिपाठी के पिता ने साल 1996 में 5 एकड़ जमीन से सब्जी की खेती शुरू की जिसके बाद वह मूसली और अश्वगंधा की खेती करने लगे।

यह शुरुआत इतनी खास रही कि उन्होंने अपनी बैंक की नौकरी को छोड़ दिया। सफर लेकिन कठिन भी रहा, साल 2002 में जब सफेद मूसली के भाव धड़ाम हुए तो उन्हें काफी नुकसान हुआ। इसके बाद उन्होंने मिश्रित खेती शुरू कर दी। साल 2016 में ऑस्ट्रेलियन टीक के साथ काली मिर्च की खेती का प्रयोग कर उन्होंने अच्छी कमाई की, इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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