नई दिल्ली। Ganesh Chaturthi 2023 : त्रिवेदो में से एक भगवान शिव और पार्वती माता के पुत्र गणेश जी को पूरे भारत में काफी माना जाता है। महाराष्ट्र में प्रमुख तौर से भगवान गणेश की पूजा होती है, लेकिन अब पूरे हिंदुस्तान में बप्पा को पूजा जाता है। हर साल गणेश चर्तुर्थी का पर्व नया जोश, उमंग लेकर आता है। कोरोना काल के बाद से अब लोग फिर से धूमधाम से गणेश चतुर्थी मनाने जा रहे है।
साल 2023 में गणेश उत्सव की शुरुआत 19 सितंबर से होने जा रही है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से इस पर्व की शुरुआत हो जाती है। गणेश उत्सव का यह पावन पर्व 10 दिनों तक चलता है। वहीं अनंत चतुर्दशी के दिन इस उत्सव का समापन होता है। पूरे गणेश उत्सव के दिनों में चारों ओर बप्पा के नाम का उद्घोष सुनाई पड़ता है।
हिन्दू धर्म में गणेश उत्सव पर्व का विशेष महत्व है। भगवान गणेश को बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है। उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, उनका हर नाम बहुत चमत्कारी है। कहा जाता है कि जहां पर बप्पा विराजते हैं वहां हर समय सुख-समृद्धि रहती है। चलिए अब जानते है कि इस साल गणेश स्थापना के लिए विधि और शुभ समय क्या है।
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गणेश उत्सव की शुरुआत
इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी 19 सितंबर 2023 को है। इसी दिन से गणेश चतुर्थी की शुरुआत हो रही है। वहीं इसका समापन 28 सितंबर 2023 को अनंत चतुर्थी वाले दिन होगा। इसी दिन बप्पा की मूर्ति का विसर्जन होता है।
गणेश चतुर्थी का मुहूर्त
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि शुरुआत 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से हो रही है। इसका समापन 19 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर होगा।
शुभ समय
गणेश स्थापना का शुभ समय 19 सितंबर 2023 को सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक है।
महत्व
गणेश जी बुद्धि और शुभता के देवता हैं, जहां पर बप्पा विराजते हैं वहां हर समय सुख-समृद्धि रहती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति गणेश उत्सव के दिनों में गणेश जी को घर में बैठाकर सच्चे मन से उनकी आराधना करता है, उसके जीवन में खुशियां आती हैं।
पूजा विधि
- गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना से पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ कर लें।
- फिर पूजा की चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछा कर गणपति बप्पा को चौकी पर स्थापित करें।
- अब गणेश जी पर दूर्वा से गंगाजल छिड़कें। उन्हें हल्दी, चावल, चंदन, गुलाब, सिंदूर, मौली, दूर्वा,जनेऊ, मिठाई, मोदक, फल, माला और फूल अर्पित करें।
- अब गणपति बप्पा के साथ-साथ शिव जी और माता पार्वती की भी पूजा करें। फिर लड्डू या मोदक का भोग लगाएं और आरती करें।
- इसी तरह 10 दिन तक रोज सुबह शाम पूजा और आरती करें।