हल षष्ठी का पर्व आज, महिलाऐं रखती है व्रत, यहां जानें शुभ मुहूर्त, और क्या है महत्व?

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LIvekhabhar | Chhattisgarh News

रायपुर। आज देशभर में हल षष्ठी का पर्व मनाया जा रहा हैं। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इसे बलदेव छठ, हरछठ, हलछठ, ललही छठ, रांधण छठ, तिनछठी व चंदन छठ आदि नामों से भी जाना जाता है। इस दिन ज्यातर महिलाऐं व्रत रखती हैं।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इसी के कारण इस दिन बलराम जी की पूजा करने का विधान है। मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत संतान प्राप्ति व संतान की लंबी आयु के लिए किया जाता है। इस व्रत में हल की भी पूजा की जाती है।

मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 24 अगस्त को दोपहर में 12 बजकर 30 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 25 अगस्त को सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर समाप्‍त होगी। इसकी पूजा दोपहर की समय की जाती है। इसलिए हलषष्ठी व्रत 24 अगस्त 2024 को रखा जा रहा है।

हरछठ का महत्व
हरछठ का व्रत महिलाएं संतान सुख के लिए करती हैं। इस व्रत को करने से संतान को अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन महुआ का सेवन करने के साथ-साथ उससे दातुन करना शुभ माना जाता है।

महिलाऐं पसहर चावल का करती है सेवन

बता दे कि कमरछठ यानी हलषष्ठी के व्रत पसहर चावल का विशेष महत्व होता है। इस दिन माताएं अपनी संतानों की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है और किसी भी तरह के हल चले हुए अनाजों का सेवन नहीं करती है। सभी पसहर चावल का सेवन करते हैं। पसहर चावल स्वमेव उगता है। प्राकृतिक रूप से उगने वाले धान के पौधे से यह चावल बनता है। इसमें किसी तरह से हल नहीं चला होता और इसी कारण यह आसानी से और सुलभ सस्ता भी नही मिलता। व्रत के बाद एक तरह से खिचड़ी बनाकर पूजा होने के बाद शाम को माताएं इसे प्रसाद स्वरूप खिचड़ी जैसा बनाकर सेवन करती हैं। पसहर चावल आसानी से मिलता नहीं है इसलिए यह थोड़ा महंगा भी आता है।


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