International Tea Day 2023 : गलती से हुई थी Tea की खोज, चुस्कियों के साथ जाने चाय का ख़ास सफर, महत्त्व और थीम

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रायपुर : International Tea Day 2023 : कई साल से एक ही चीज है जो अबतक नहीं बदली, और वो है लोगों के चाय पिने की आदत। आज हर किसी का दिन चाय से शुरू होकर चाय पर ही अंत होता है। चाय का इतिहास भी खास है। हालांकि इस बार की जानकारी बहुत ही कम लोगों को होगी की आखिर चाय शुरू कब हुई?

इस वर्ष की थीम “एक कप चाय पर लोगों को एक साथ लाना” है। दुनियाभर में चाय के कुल उत्पादन की लगभग 30 प्रतिशत खपत अकेले भारत में होती है।

ऐसे हुई थी चाय की खोज

जानकारी के अनुसार, 2700 ईसापूर्व के करीब चीनी शासक शेन नुंग अपने बगीचे में बैठकर गर्म पानी पी रहे थे। तभी एक पेड़ की पत्ती उस पानी में आ गिरी जिससे उसका रंग बदला और महक भी उठी। राजा ने चखा तो उन्हें इसका स्वाद बड़ा पसंद आया और इस तरह चाय का आविष्कार हुआ। वहीं एक और कथा के अनुसार छठवीं शताब्दी में चीन के हुनान प्रांत में भारतीय बौद्ध भिक्षु बोधिधर्म बिना सोए ध्यान साधना करते थे। वे जागे रहने के लिए एक ख़ास पौधे की पत्तियां चबाते थे और बाद में यही पौधा चाय के पौधे के रूप में पहचाना गया।

कैसे पहुंचा भारत ?

1824 में बर्मा (म्यांमार) और असम की सीमांत पहाड़ियों पर चाय के पौधे पाए गए। अंग्रेज़ों ने चाय उत्पादन की शुरुआत 1836 में भारत और 1867 में श्रीलंका में की। पहले खेती के लिए बीज चीन से आते थे लेकिन बाद में असम चाय के बीज़ों का उपयोग होने लगा। भारत में चाय का उत्पादन मूल रूप से ब्रिटेन के बाज़ारों में चाय की मांग को पूरा करने के लिए किया गया था। उन्नीसवी शताब्दी के उत्तरार्ध तक भारत में चाय की खपत न के बराबर थी। लेकिन आज भारत के हर चौराहे, नुक्कड़ पर आपको कुछ मिले न मिले चाय ज़रूर मिल जाएगी।

चाय की परंपरा

1815 में भारत भ्रमण कर रहे अंग्रेज यात्रियों का उगने वाली चाय की झाड़ियों पर गयाम जिसे जिससे स्थानीय क़बाइली लोग एक पेय बनाकर पीते थे। जिसके बाद एक समिति का गठन किया जाता है। इस समिति का गठान भारत के गवर्नर जनरल लार्ड बैंटिक द्वारा 1834 में चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसके उत्पादन करने की संभावनाएं तलाशने के लिए किया गया था। इसके बाद 1835 में असम में चाय के बाग़ लगाए गए।

खेती के अलग-अलग स्थान, वहां के मौसम के हिसाब से चाय का वर्गीकरण किया जाता है। जैसे चीनी, जापानी, श्रीलंका, इंडोनेशिया और अफ्रीकन चाय। कुछ नाम क्षेत्र विशेष के अनुसार हैं जैसे भारत में दार्जिलिंग, असम, नीलगिरी, श्रीलंका में उवा और डिम्बुला, चीन के अन्हुई प्रांत के कीमन क्षेत्र की कीमुन चाय और जापान की एंशु चाय।

वाइट टी शुद्ध और सभी चाय में सबसे कम प्रोसेस्ड होती है। ग्रीन टी सबसे मशहूर और एशिया में ख़ासी पसंद की जाती है। ओलांग टी चीनी चाय है जो चाइनीज़ रेस्त्रां में परोसी जाती है। ब्लैक टी को केवल गर्म पानी में पत्तियां डालकर या दूध और शक्कर के साथ भी पिया जाता है। हर्बल टी में किसी भी प्रकार की चाय की पत्तियां नहीं डाली जाती हैं।

लैवेंडर फ्लेवर टी

LIvekhabhar | Chhattisgarh News

रात में सोने से पहले आपको लैवेंडर फ्लेवर टी पीनी चाहिए क्योंकि इसकी खुशबू आपके मन और शरीर को आराम के साथ-साथ ताज़गी भी देती है। लैवेंडर फ्लेवर टी विधि :- 2 कप अबलते पानी में आधा चम्मच लैवेंडर डालकर गैस बंद कर दें। अब लैवेंडर का अर्क निकलने तक उसी में रहने दें। इस प्रक्रिया में 15 से 20 मिनट भी लग सकता है। आप चाहें तो इसे ऐसे ही पिएं या फिर फ्रिज में ठंडा कर भी पी सकते हैं।

कैमोमाइल चाय

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टेंशन रिलीज करने के लिए आप कैमोमाइल चाय का सेवन करें। कैमोमाइल चाय को तनाव दूर करने के लिए सबसे अच्छा माना जात है। कैमोमाइल चाय की विधि :- 240 मिली पानी गर्म करें। ध्यान रखें कि पानी को उबालना नहीं है। अब इस पानी में 1 बड़ा चम्मच कैमोमाइल के सूखे फूल डालें। इसका अर्क निकल जाए तो इसे छान कर सर्व करें।

ब्लैक टी

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अगर आप अपने आप को थका हुआ महसूस कर रहें हैं तो ब्लैक टी आपकी एनर्जी वापस ला सकती है। ब्लैक टी बनाने के लिए 2 कप पानी को अच्छे से उबाल लें अब असमें बहुत थोड़ी सी चाय पत्ती डालकर ऊपर से ढक दें. 3 से 4 मिनट बाद छान लें। आप ब्लैक टी को चीनी मिला कर भी पी सकते हैं और बिना चीनी के भी पी सकते हैं।


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