ISRO का Proba-3 मिशन: अंतरिक्ष में नई इबारत लिखने की तैयारी, दो सैटेलाइट मिलकर करेंगे सूर्य का अध्ययन

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ISRO PSLV C59 PROBA 03 Mission - Proba-03 Mission: ISRO करने जा रहा है  ऐतिहासिक लॉन्चिंग, जानिए क्यों जरूरी है प्रोबा-3 मिशन - ISRO PSLV C59 PROBA  03 Mission launch date - AajTak

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने Proba-3 मिशन के लॉन्च को तकनीकी खामियों के चलते फिलहाल टाल दिया है। लेकिन यह मिशन अपनी अनूठी तकनीक और उद्देश्यों के कारण पहले ही वैश्विक चर्चा का विषय बन चुका है।

क्या है Proba-3 मिशन?

Proba-3, जिसे ‘ऑनबोर्ड एनाटॉमी के लिए परियोजना’ के रूप में जाना जाता है, अंतरिक्ष विज्ञान में अपनी तरह की पहली पहल है। इस मिशन में दो उपग्रह शामिल हैं जो अंतरिक्ष में एक मिलीमीटर तक की सटीकता के साथ एक फिक्स कॉन्फिगरेशन में उड़ान भरेंगे। इसका मुख्य उद्देश्य सूर्य के बाहरी वायुमंडल (कोरोना) का अध्ययन करना है।

इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) को यह प्रोजेक्ट यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) से मिला है। Proba-3 यूरोप के कई देशों, जैसे स्पेन, पोलैंड, बेल्जियम, इटली और स्विट्जरलैंड के साथ साझेदारी में चलाया जा रहा है।

मिशन की विशेषताएं और उद्देश्य

  • सटीकता से उड़ान: अंतरिक्ष में पहली बार ‘प्रिसिजन फॉर्मेशन फ्लाइंग’ तकनीक का परीक्षण किया जाएगा।
  • सूर्य का अध्ययन: मिशन का फोकस सूर्य के बाहरी वायुमंडल की संरचना और उसकी गतिशीलता को समझना है।
  • लंबी अवधि का प्रोजेक्ट: मिशन की अवधि लगभग 2 साल होगी।
  • मिशन लागत: इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 200 मिलियन यूरो आंकी गई है।

कैसे काम करेगा मिशन?

मिशन में शामिल दोनों उपग्रह एक साथ अंतरिक्ष में उड़ेंगे और एक निश्चित दूरी पर एक दूसरे के साथ कॉन्फिगरेशन बनाए रखेंगे। यह तकनीक भविष्य के कई अंतरिक्ष अभियानों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।

महत्वपूर्ण योगदान

Proba-3 मिशन ISRO और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बीच सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह परियोजना न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान में और मजबूत स्थिति में स्थापित करेगी।

Proba-3 का प्रक्षेपण अब 4 दिसंबर शाम 4:12 बजे किया जाएगा। इससे पहले इसरो सुनिश्चित करेगा कि सभी तकनीकी खामियां दूर की जा चुकी हैं।


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