रायपुर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ विवादित टिप्पणी कर सुर्खियों में आए कालीचरण महाराज आज रायपुर पहुंचे है, जिनका हिंदू समाज व विश्व हिंदू परिषद बजरंग के सदस्यों और कार्यकर्ताओं ने रायपुर के स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने आज विश्व हिन्दू परिषद कार्यालय पंडरी रायपुर में पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कड़े तेवर दिखते हुए सनातन विरोधियों पर जमकर प्रहार किया।
उन्होंने कहा कि देश में दिवाली से भी ज्यादा भव्य आयोजन राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के रूप में हो रहा हैं। जो भी इसकी आलोचना कर रहे है उसकी पहचान अज्ञानियों में की जाएगी और मूर्ख लोग ही राम मंदिर की आलोचना कर रहे हैं। राम हिन्दुओं और सनातनियों की आस्था हैं।
कालीचरण महाराज ने प्रधानमंत्री मोदी को चक्रवर्ती सम्राट बताया। उन्होंने कहा कि, देश को विक्रमादित्य के बाद सम्राट मिला है। वहीं उन्होंने कांग्रेस को पिशाच बताया है। दरअसल उन्होंने कांग्रेस द्वारा प्राण प्रतिष्ठा का न्यौता ठुकराने पर पर कहा कि “भूत पिशाच निकट नहीं आए, महावीर जब राम नाम सुनावे। ऐसे में कांग्रेस कैसे आएँगे। जिन्होंने राम को ठुकरा दिया वे राक्षस हैं। महात्मा गांधी पर दिए पुराने विवादित बयान पर प्रश्न पूछे जाने पर कहा कि, “कोटि-कोटि नमस्कार हैं नाथूराम गोड़से जी को… रघुपति राघव राजा राम, देश बचा गए नाथूराम।”
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छत्तीसगढ़ में कथित धर्मान्तरण पर कालीचरण महाराज ने कहा कि भोलेभाले हिन्दू बहकावे में आ जाते हैं। कही भी धर्मपरिवर्तन नहीं क्योंकि धर्म सिर्फ सनातन हिन्दू हैं। और हिन्दू धर्म में जैन, बौद्ध, सिख सभी धर्म और पंथ हैं। सिर्फ मुस्लिम और ईसाई दो धर्म नहीं हैं। सनातन के अलावा कोई धर्म नहीं है। इसीलिए कही भी धर्मांतरण नहीं बल्कि धर्म छुड़वाया जा रहा हैं। ऐसे में धर्मान्तरण के लिए कानून बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा, देश में इस राजा (मोदी) के आने के बाद धारा 370 क्यों हटा? बम विस्फोट क्यों बंद हुए? राम मंदिर का फैसला क्यों आया? अभी तक 1760 राजा आए। उन्होंने कहा, यथा राजा तथा प्रजा। राजा आएगा तो धर्मनिष्ठा आएगा। प्रजा अपने आप धर्मनिष्ठ हो जाएगी। राजा जिस मानसिक स्थिति को फालो करता है, प्रजा अपने आप ही वैसे बन जाती है। राजा अगर निष्ठावान है तो प्रजा अपने आप निष्ठावान हो जाएगी। इसीलिए इस राजा को सम्मान है।
कालीचरण ने आगे कहा कि साधु संत अहंकार को चूल्हे में डालें और जो राजा हिंदुत्व का काम कर रहा है उसका साथ दें। हो सकता है शंकराचार्य अपने-अपने अहंकार सीधे करने की कोशिश में हों। अहंकार के सामने भगवान भी दुय्यम हो जाते हैं। सेक्स और अहंकार में लोग अटकते हैं। उन्होंने सेक्स छोड़ दिया अहंकार में अटक गए हैं। दोनों जिससे छूटे वो महापुरुष है। महान कार्य में अपनी सड़ी हुई बातों से विघ्न डाल रहे हैं।