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Krishna Janmashtami 2024 : इस बार कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा दुर्लभ संयोग, यहां जानें तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

August 22, 2024 | by Nitesh Sharma

krishna janmashtami 2024

LIvekhabhar | Chhattisgarh News

रायपुर। Krishna Janmashtami 2024 : भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हर साल भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस पर्व को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहा जाता हैं। मान्यताओं के अनुसार अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में कृष्ण जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है। इस साल जन्माष्टमी की तिथि को लेकर कई लोग असमंजस में है। कुछ लोग 26 अगस्त तो कोई 27 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार बता रहा है। ऐसे में यहां सही तारीख के बारे में जानने वाले हैं।

पंचांग के मुताबिक भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त को सुबह 3:39 बजे से प्रारंभ होगी और 27 अगस्त को सुबह 2:19 बजे पर समाप्त होगी। ऐसे इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा। इस साल भगवान श्रीकृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कृष्ण जन्माष्टमी के पूजन का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त को दोपहर 12 बजे से 27 अगस्त की देर सुबह 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र दोपहर 03 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ होगी और 27 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी।

इस साल बन रहा विशेष संयोग
इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर वैसा ही संयोग बन रहा है, जो बाल गोपाल से द्वापर युग में जन्म लिया था। बता दें कि श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे हुआ था। इसके साथ ही चंद्रमा वृष राशि में और सूर्य सिंह राशि में विराजमान थे। इसके साथ ही हर्षण योग के साथ जयंत योग बन रहा था। ऐसा ही बिल्कुल संयोग इस साल 26 अगस्त को भी बन रहा है। ऐसे में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाने में कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होगी। जयंती योग में पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

कैसे करें जन्माष्टमी के दिन पूजा
1. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर ओम नमो भगवते वासुदेवा का मन में जप करना चाहिए.
2. इसके बाद स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए.
3. इसके बाद जिस स्थान पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित हो, वहां साफ-सफाई करके गंगाजल डालकर शुद्ध करना चाहिए.
4. इस स्थान को अशोक की पत्ती, फूल, माला और सुगंध इत्यादि से खूब सजाना चाहिए.
5. इस स्थान पर बच्चों के छोटे-छोटे खिलौने लगाएं. पालना लगाएं.
6. प्रसन्न मन के साथ श्री हरि का कीर्तन करें और व्रत रखें.
7. संभव हो सके तो निराहार अथवा फलाह व्रत रखें.
8. फिर शाम के समय भजन संध्या पूजन करें और रात्रि में भगवान श्री कृष्ण का पंचामृत से स्नान करें.
9. प्रभु को मीठे पकवान, माखन इत्यादि का भोग लगाएं. तुलसी दल अर्पित करें.
10. अंत में जीवन में सुख-शांति की कामना करें और लोगों में प्रसाद का वितरण करें.

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