मुंबई। Maharashtra Political Crisis : महाराष्ट्र में लंबे समय से चल रहे राजनैतिक संकट पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। शिंदे सरकार बने रहने का फैसला CJI की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं देते तो हम राहत दे सकते थे। 16 विधायकों के आयोग्य ठरायें जाने वाले मामलें में कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर फैसला स्पीकर ले।
Maharashtra Political Crisis : कोर्ट ने कहा वो उद्धव ठाकरे की सरकार बहाल करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। क्योंकि ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट फेस करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया। शिंदे बनाम उद्धव मामले पर पांच जजों की बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली, पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।
कोर्ट में बगावत के बाद पहुंचा मामला
17 फरवरी को पीठ ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट की याचिकाओं पर सुनवाई की।
21 फरवरी से कोर्ट ने लगातार 9 दिन यह केस सुना था।
16 मार्च को सभी पक्षों की दलीलें पूरी होने पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
राज्यपाल की शक्तिओं पर कहा कि उन्हें सविधान
राज्यपाल को वो नहीं करना चाहिए जो ताकत संविधान ने उनको नहीं दी है. अगर सरकार और स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा टालने की कोशिश करें तो राज्यपाल फैसला ले सकते हैं. लेकिन इस मामले में विधायकों ने राज्यपाल को जो चिट्ठी लिखी, उसमें यह नहीं कहा कि वह MVA सरकार हटाना चाहते हैं.
सिर्फ अपनी पार्टी के नेतृत्व पर सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि किसी पार्टी में असंतोष फ्लोर टेस्ट का आधार नहीं होना चाहिए. राज्यपाल को जो भी प्रस्ताव मिले थे, वह स्पष्ट नहीं थे. यह पता नहीं था कि असंतुष्ट विधायक नई पार्टी बना रहे हैं या कहीं विलय कर रहे हैं.
‘अयोग्यता पर नहीं लेंगे फैसला’
विधायकों के आयोग्य ठहराए जाने वाले मामलें में सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं करेगा। अब कोर्ट ने स्पीकर को फैसले लेने का आदेश दिया है। कोर्ट का कहना है कि पार्टी में बंटवारा अयोग्यता कार्रवाई से बचने का आधार नहीं हो सकती। उद्धव को दोबारा बहाल नहीं कर सकते।
फैसला सुनाने वाली जजों की बैंच
शिंदे बनाम उद्धव मामले पर पांच जजों की बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली, पीएस नरसिम्हा शामिल हैं. कोर्ट ने इस मामले में 16 मार्च से 9 दिनों तक दलीलें सुनी थी, जिसके बाद क्रॉस-याचिकाओं के एक बैच पर अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
दरअसल, फरवरी महीने में चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना माना और पार्टी का नाम और चिन्ह ‘धनुष और तीर’ शिंदे गुट को दिया था. वहीं, चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. कोर्ट ने इस मामले को 5 सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया था.
उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए कहा था कि एकनाथ शिंदे गुट के बागियों को किसी पार्टी में विलय करना चाहिए था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. ऐसे में बगावत करने वालों को अयोग्य घोषित किया जाए.
कोर्ट ने कहा कि इस मामले को अब बड़ी बेंच के समक्ष भेजा जाएगा। अब मामलें में 7 जजों की बेंच सुनवाई करेगी। जिससे साफ़ है कि एकनाथ शिंदे सरकार पर कोई खतरा नहीं है और सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच की सुनवाई में लंबा वक्त लगेगा। इस तरह सुप्रीम कोर्ट का फैसला उद्धव ठाकरे गुट के लिए झटके की तरह है।