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छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्यौहार “पोला”, घर-घर पशुधन की पूजा, इन राज्यों में भी त्यौहार की धूम

September 2, 2024 | by Nitesh Sharma

LIvekhabhar | Chhattisgarh News

रायपुर। भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसमें मवेशियों का भी महतवपूर्ण योगदान है। भारत में इन मवेशियों की पूजा की जाती है, पोला भी उन्ही में से एक है। पोला त्यौहार के दिन कृषि गाय और बैलों की पूजा की जाती है। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में पोला लेकर घूम रहती है। किसान और अन्य लोग पोला के दिन अपनी खेतों पर काम करने वालें गायों और बैलों को साफ कर के उन्हें सजाते है, और पशुओं की विशेष रूप से बैलों की पूजा करते है। पोला त्यौहार में बच्चे मिट्टी के बैल चलाते हैं। इस दिन बैल दौड़ का भी आयोजन किया जाता है। और इस दिन में बैलो से कोई काम भी नहीं कराया जाता है। और घरों में महिलाएं व्यंजन बनाती हैं। पोला को बैला पोला के नाम से भी जाना जाता है।

कैसे मनाया जाता है

इस पर्व का मतलब वास्तव में खेती-किसानी यानि जैसे- निंदाई-रोपाई आदि का कार्य समाप्त हो जाना है, लेकिन कई बार अनियमित वर्षा के कारण ऐसा नहीं हो पाता है। और बैल किसानों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। अत: किसान इस दिन बैलों को देवतुल्य मानकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। यह त्योहार पुरुषों-स्त्रियों एवं बच्चों के लिए अलग-अलग महत्व रखता है।

महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में मनाया जाने वाला लोक पर्व ‘पोला’ का नजारा देखने में बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। कई समाजवासी पोला पर्व को बहुत ही उत्साहपूर्वक मनाते हैं। बैलों की जोड़ी का यह पोला उत्सव देखते ही बनता है। खासतौर पर छत्तीसगढ़ में इस लोकपर्व पर घरों में ठेठरी, खुरमी, चौसेला, खीर-पूरी जैसे कई लजीज व्यंजन बनाए जाते हैं। महाराष्‍ट्रीयन परिवारों में पोला पर्व के दिन घरों में खासतौर पर पूरणपोली (पूरणपोळी) और खीर बनाई जाती है। बैलों को सजाकर उनका पूजन किया जाता है, फिर उन्हें पूरणपोली और खीर भी खिलाई जाती है।

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