नई दिल्ली। MS Swaminathan Death : भारत में हरित क्रांति के जनक कृषि वैज्ञानिक एम इस स्वामीनाथन का निधान हो गया है। उन्हें फादर ऑफ ग्रीन रिवॉल्यूशन के नाम से भी जाना जाता है। इस अहम पहल के लिए कई राज्यों में कृषि उत्पादों में बढ़ोतरी हुई थी। वह लंबे समय से बीमार थे। आज 98 की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी तीन बेटियां भी हैं।
पद्म श्री, भूषण और विभूषण से हुए सम्मानित
कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने कई प्रमुख पदों का पदभार संभाला है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का निदेशक (1961-1972), आईसीआर के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव (1972-79), कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव (1979-80) नियुक्त किया गया था। स्वामीनाथन को 1987 में प्रथन खाद्य पुरस्कार दिया गया था। वो पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण तक से सम्मानित हो चुके हैं।
पीएम मोदी ने जताया शोक
स्वामीनाथन के निधन की खबर सुनते ही पीएम मोदी भी दुखी हुए। पीएम ने कहा कि उन्होंने हमेशा देश के लिए काम किया। पीएम ने कहा कि स्वामीनाथन ने कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व काम करते हुए हजारों लोगों की जिंदगी संवारी।
मुख्यमंत्री बघेल ने गहरा दुःख व्यक्त किया
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक और हरितक्रांति के जनक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने डॉ. स्वामीनाथन के शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा है कि डॉ. स्वामीनाथन ने देश में हरितक्रांति लाकर कृषि की तस्वीर बदल दी। कृषि के क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान और अनेक उल्लेखनीय कार्यों के लिए उन्हें पदमश्री और पदमविभूषण सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित गया था। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्होंने गेंहू और चावल की ऐसी किस्में विकसित की थी, जिससे फसल की पैदावार बढ़ी।
डॉ. स्वामीनाथन हमेशा किसानों को उपज का सही दाम दिलाने के लिए उचित समर्थन मूल्य के पैरोकार रहें। डॉ. स्वामीनाथन के विजन के अनुरूप छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए फसल की उचित कीमत दिलाने की व्यवस्था की गई।