रायपुर। Navratri Special : छत्तीसगढ़ की संस्कृति अपने आप में अद्भुत है। यहां कुल 36 देवी धाम हैं। छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में शक्ति पीठ है, जिनके दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की खासकर नवरात्रि में भीड़ उमड़ती है। नवरात्रि में हर दिन हिंदू धर्म के लोग 9 अलग-अलग देवियों के रूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। महामाया मंदिर 12वीं शताब्दी से अस्तित्व में है।
दोहरी देवी सरस्वती और लक्ष्मी को समर्पित, मंदिर वास्तुकला की नागर शैली का खेल है। बिलासपुर अंबिकापुर राज्य राजमार्ग के किनारे स्थित, मंदिर रतनपुर में स्थित है और देश भर में फैले 52 शक्तिपीठों में से एक है।
वहीं दंतेश्वरी मंदिर, देश भर के 52 शक्ति मंदिरों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है। देवी दंतेश्वरी मंदिर को लेकर ऐसा माना जाता है कि मंदिर उस स्थान पर बनाया गया था जहां देवी सती का दांत सतयुग के दौरान गिरा था जब इन शक्ति मंदिरों का निर्माण किया जा रहा था। इसी तरह पाताल भैरवी मंदिर को बर्फानी आश्रम के नाम से भी जाना जाता है।
शिव लिंग के सामने एक विशाल नंदी प्रतिमा भी है। पाताल भैरवी मंदिर तीन स्तरों में फैला हुआ है। ऊपरी स्तर भगवान शिव का है, नीचे का स्तर त्रिपुरा सुंदरी या नवदुर्गा मंदिर है और नीचे का स्तर पत्थल भैरवी मंदिर है।
छत्तीसगढ़ पर हिंदू धर्म के भगवानों और देवी- देवताओं का आशिर्वाद हमेशा से यहाँ की पहचान बना हुआ है। छत्तीसगढ़ में यूं तो हिंदू धर्म को जानने की कोई कमी नहीं, हर क्षेत्र में हिंदू भगवानों और देवी-देवताओं की एक गाथा जरूर जानने और सुनने को मिलेगी।