रायपुर। Press Freedom Day : विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस हर साल 3 मई को मनाया जाता है। आज का दिन सरकारों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में याद दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहीं WPFD पत्रकारिता क्षेत्र में अहम योगदान देने और जान गवाने वालों को याद किया जाता है। पत्रकारिता/मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। हालांकि भारत के सविधान में ऐसा कहीं लिखा नहीं गया है।
Press Freedom Day : रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) द्वारा हर साल आज के दिन विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक जारी किया जाता है। इस साल 21वां संस्करण जारी किया गया है। जिसमें भारत को 180 देशों में से 161वां स्थान मिला है। यह, साल 2022 में मिले 150 वें स्थान के मुकाबले 11 स्थान नीचे है। साल 2021 में 142, साल 2022 में 150 और 2023 में यह 161वें स्थान पर आ चुका है।
आज़ादी में मिडिया का योगदान
Press Freedom Day : भारत की आजादी में मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारत देश को आजादी 1947 में मिली, जिसमें लोगों को जागरूक, एकजुट करने का काम मीडिया ने किया है। आजादी से पहले मीडिया का उद्देश्य मूल रूप से लोगों को आजादी के लिए जागरूक और एकजुट करना था। भारत देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद मीडिया के सिद्धांतों में बदलाव आए, विकास, सूचना, शिक्षित करना सबसे पहले जुड़ा। जिसके बाद एंटरटेन और अन्य भी जुड़ते चले गए।
ऐसे हुई थी विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा
प्रेस की आजादी के लिए साल 1991 में सबसे पहले -अफ्रीका के पत्रकारों ने मुहीम चेदि थी। 3 मई को प्रेस की आजादी के सिद्धांतों को लेकर एक बयान जारी किया गया था, इसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक के नाम से जाना जाता है।
जिसके ठीक 2 साल बाद यानी 1993 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की थी। तब से आज तक 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
इस साल की थीम
इस साल की थीम ‘अधिकारों के भविष्य को आकार देना: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अन्य सभी मानवाधिकारों के चालक के रूप में (Shaping a Future of Rights: Freedom of Expression as a Driver for all other human rights) है।