Revamp Of Criminal Laws : अंग्रेजों के बनाए पुराने कानून होंगे खत्म! गृहमंत्री अमित शाह ने किया ऐलान, IPC में होंगे ये 13 बदलाव

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नई दिल्ली। Revamp Of Criminal Laws : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा सभा में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए भारतीय आपराधिक कानूनों में बदलाव करने का ऐलान किया है। इन तीन कानूनों में भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को भारतीय न्याय संहिता से बदला जाएगा। गृह मंत्री का कहना है कि ये तीनों कानून अंग्रेजों ने बनाए थे। गृह मंत्री अमित शाह ने इसके लिए विधेयक भी पेश किया।

बता दे कि ये तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता (IPC)-1860, आपराधिक प्रक्रिया अधिनियम-1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-1872 की जगह लेंगे। ये नए तीन कानून भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 हैं। अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि 1860 से लेकर 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों के बनाए गए कानून के हिसाब से चलती थी। अब इन तीनों कानूनों को बदल दिया जाएगा। इन तीनों बिलों को स्टैंडिंग कमेटी में भेजी जाएगी।

भारतीय दंड संहिता में ये 13 बदलाव किए गए हैं.

1. नए विधेयक में रेप के मामलों में सजा बढ़ाई गई है. इसमें न्यूनतम सज़ा जो पहले 7 साल थी, अब 10 साल कर दी गई है.

2. नाबालिग के साथ बलात्कार के मामले में नया कानून बनाया गया है. लिहाजा नाबालिग के साथ रेप की सजा को बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया. यह आजीवन कारावास की सजा है. रेप के कानून में एक नया प्रावधान शामिल किया गया है जो परिभाषित करता है कि विरोध न करने का मतलब सहमति नहीं है. इसके अलावा गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है.

3. नए कानून के तहत नाबालिग से गैंगरप पर मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया है.

4. रेप विक्टिम्स की पहचान को बचाने के लिए नया कानून बनाया गया है.

5. अप्राकृतिक यौन अपराध धारा 377 अब पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है. लिहाजा पुरुषों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए अब कोई कानून नहीं है. पाशविकता के विरुद्ध कोई कानून नहीं है. नए कानून के तहत अब पुरुषों के खिलाफ अप्राकृतिक यौन अपराधों के लिए सजा का कोई प्रावधान नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 के तहत फैसले में कहा था कि “सहमति देने वाले वयस्कों” पर “अप्राकृतिक कृत्यों” के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.

6. बच्चों के विरुद्ध अपराधों के लिए नया चैप्टर शामिल किया गया है. इसमें परित्याग, बच्चे के शरीर का निपटान और बाल तस्करी आदि शामिल हैं.

7. लापरवाही से मौत की सजा 2 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दी गई है.

8. संगठित अपराध के विरुद्ध नए कानून का प्रावधान किया गया है. इसके परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो मृत्युदंड की सजा होगी.

9. आतंकवाद के खिलाफ नए कानून यानी मौत की सजा का प्रावधान किया गया है.

10. राजद्रोह के कानून को “भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य” के रूप में परिभाषित किया गया है. इसके लिए न्यूनतम सजा को 3 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दिया गया है.

11. नए कानून के तहत भारत में सजा के नए रूप में सामुदायिक सेवा की शुरुआत की गई है.

12. IPC में बदलाव के तहत महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर नया चैप्टर शामिल किया गया है.

13. मैरिटल रेप एक ऐसा अपवाद है जो कि अभी तक अछूता है. भारत में वैवाहिक बलात्कार अभी भी अपराध नहीं है.


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