RG कर रेप-मर्डर केस: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर केस में दोषी संजय रॉय को सियालदह कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। जज अनिर्बान दास ने 160 पेज के फैसले में कहा कि यह “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” मामला नहीं है, इसलिए फांसी की सजा नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया, लेकिन परिवार ने इसे लेने से इनकार कर दिया।
यह घटना 8-9 अगस्त 2024 की रात हुई थी, जब आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर का सेमिनार हॉल में रेप और मर्डर किया गया। 9 अगस्त की सुबह डॉक्टर की लाश सेमिनार हॉल में मिली। CCTV फुटेज के आधार पर सुरक्षाकर्मी संजय रॉय को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया गया। बाद में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर मामले की जांच CBI को सौंपी गई।
RG कर रेप-मर्डर केस: मुकदमे और सजा की प्रमुख बातें
18 जनवरी 2025 को अदालत ने संजय रॉय को दोषी करार दिया। 20 जनवरी को सजा पर विस्तृत फैसला सुनाया गया। अदालत ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64, 66, और 103(1) के तहत दोषी को उम्रकैद की सजा दी।
- धारा 64 (बलात्कार): 10 साल से आजीवन कारावास तक।
- धारा 66 (पीड़िता की मृत्यु या अचेत करना): 20 साल से उम्रकैद।
- धारा 103(1) (हत्या): फांसी या उम्रकैद का प्रावधान।
कोर्ट ने फैसले का आधार फोरेंसिक और DNA सबूतों को बनाया। दोषी की जींस और जूतों पर पीड़िता का खून पाया गया, और घटनास्थल से मिले DNA सैंपल संजय रॉय से मेल खाते थे।
फांसी की मांग पर दलीलें
CBI और पीड़ित परिवार ने दोषी को फांसी देने की मांग की। परिवार ने कहा कि संजय अस्पताल की सुरक्षा में तैनात था, फिर भी उसने ऐसा घिनौना अपराध किया। CBI ने तर्क दिया कि न्याय प्रणाली में भरोसा बनाए रखने के लिए फांसी जरूरी है। दूसरी ओर, दोषी ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उसे साजिश के तहत फंसाया गया है।
RG कर रेप-मर्डर केस: ममता बनर्जी का असंतोष और राज्य सरकार की भूमिका
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फैसले पर असंतोष जताते हुए कहा कि अगर यह मामला कोलकाता पुलिस के पास होता, तो दोषी को मौत की सजा मिल सकती थी। राज्य सरकार को कोर्ट ने पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया, लेकिन परिवार ने इसे ठुकरा दिया।
CBI की जांच और अन्य आरोपी
CBI ने 7 अक्टूबर 2024 को चार्जशीट दायर की, जिसमें संजय रॉय को एकमात्र आरोपी बताया गया। चार्जशीट में 100 गवाहों के बयान, CCTV फुटेज, DNA रिपोर्ट और 12 पॉलीग्राफ टेस्ट की रिपोर्ट शामिल थीं। हालांकि, मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और पुलिस अधिकारी अभिजीत मंडल को जमानत मिल गई, क्योंकि CBI ने उन्हें चार्जशीट में शामिल नहीं किया।
घटना के बाद देशव्यापी विरोध
घटना के बाद देशभर के डॉक्टरों ने प्रदर्शन किया, जिससे पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य सेवाएं ठप रहीं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए टास्क फोर्स बनाने का आदेश दिया।
संजय रॉय को कोलकाता के RG कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर का दोषी पाते हुए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने DNA और फोरेंसिक सबूतों के आधार पर दोषी करार दिया, जिसमें घटनास्थल और पीड़िता के शरीर से मिले साक्ष्य शामिल थे। हालांकि, कोर्ट ने इसे “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” मामला मानने से इनकार करते हुए फांसी की सजा नहीं दी।
पीड़ित परिवार और CBI ने इस फैसले को चुनौती दी है, उनका कहना है कि इस जघन्य अपराध के लिए दोषी को फांसी मिलनी चाहिए। वहीं, दोषी संजय ने खुद को निर्दोष बताया और साजिश का आरोप लगाया। यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बन गया, जहां डॉक्टरों और नागरिकों ने न्याय के लिए प्रदर्शन किया। अब सबकी नजर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर है, जो इस मामले में अंतिम न्याय तय करेंगे।