किसी ने क्या खूब लिखा है-काटो गे तुम हरे वृक्ष तो तुम दवा कहां से लाओगे…लालची अडानी बना देश का दुश्मन
December 25, 2023 | by livekhabar24x7.com
महेंद्र कुमार साहू/ हसदेव अरण्य के जंगलों में इन दिनों सिर्फ आरा मशीन की गूंज सुनाई दे रही है। ये विनाश सिर्फ एक पूंजीपति अडानी की जिद के लिए है, जो हसदेव से कोयला निकालकर मुनाफा कमाना चाहता है। जिसके लिए यहां के जंगलों को कुर्बान किया जा रहा है। जो हसदेव के असंख्य जीव, जंतुओं का घर है। हमारी सांसें जिससे चलती हैं। उसका ऐसा विनाश, प्रकृति कभी माफ नहीं करने वाली है।
हसदेव अरण्य के जंगलों के विनाश और आदिवासियों के दमन के खिलाफ छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में भारी जन आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सुरक्षा बलों को सामने रखकर इन पेड़ों की कटाई की जा रही है। इतना ही नहीं विरोध करने वालों को नजरबंद भी किया गया है। नजरबंद किये गये लोगों के संदर्भ में पुलिस परिजनों को जानकारी देने से बचते नजर आ रही है। जिससे परिजन चिंतित नजर आ रहे हैं। साथ ही अनहोनी की आशंका से कांप जा रहे हैं।
हसदेव अरण्य के उजड़ते जंगलों का दर्द राजधानी रायपुर से निकलकर प्रदेश के गांवों तक पहुंच गई है। दबे जुबान ही सही सभी तरफ हसदेव की चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया में लोगों को जागरुक करने पेड़ों की कटाई के दर्द भरे गीत वायरल किये जा रहे हैं। जिसे काफी लोग देख रहे हैं। लाइक और कमेंट कर रहे हैं। और अंदर ही अंदर जनआक्रोश बढ़ता जा रहा है। इतना ही नहीं अडानी को भी अब डर सताने लगा है।
हसदेव के दर्द को एक कवि ने बखूबी लिखा है। जिसे लयबद्ध कर आडियो वीडियो के माध्यम से वायरल किया जा रहा है। इस गीत में कवि ने लिखा है। कटा जाही का रे…कटा जाही का रे…कोरबा, कोरिया के हरियर ये छईहा…छत्तीसगढ़ के सांस रखईया….
किसान नेता राकेश टिकैत ने भी कटते हसदेव के जंगलों को लेकर हमला बोला है। साथ ही कहा अंबानी, अडानी को लाभ पहुंचाने के लिए जड़, जमीन-जंगल को खत्म करने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। इन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इनके खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।
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