गांधीनगर। गुजरात इन दिनों चांदीपुरा वायरस के चपेट में हैं। इस वायरस ने अब तक 8 लोगों की जान ले ली हैं। मृतकों में ज्यादातर बच्चे शामिल है। अभी तक गुजरात के चार जिलों में चांदीपुरा वायरस के कई मामले सामने आ चुके हैं। लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रशासन में हड़कंप मचा गया है। प्रशासन की ओर से तमाम जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं।
क्या हैं चांदीपुरा वायरस
चांदीपुरा कोई नया वायरस नहीं है। 1965 में महाराष्ट्र में पहला मामला दर्ज किया गया था। गुजरात में हर साल इस वायरस के मामले दर्ज होते हैं।’ साल 2003 में आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में ये वायरस फैला था। उस समय चांदीपुरा वायरस से 329 बच्चों में से 183 की मौत हो गई थी।
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चांदीपुरा कैसे पड़ा वायरस का नाम
1965 में सबसे पहले ये महाराष्ट्र के चांदीपुरा गांव में फैला था। उस समय 15 साल तक के कई बच्चों की इस वायरस से मौत हुई थी। तब पूरे चांदीपुरा गांव में इस रहस्यमयी बीमारी को लेकर लोगों में जबरदस्त खौफ था। कई मरीजों के ब्लड सैंपल की जांच के बाद पता चला कि मौतों के पीछे वायरस है, इसलिए इस वायरस का नाम चांदीपुरा पड़ गया।
चांदीपुरा वायरस के लक्षण
पीड़ित में बुखार, उल्टी, दस्त और मिर्गी का दौरा पड़ने के लक्षण मिले हैं. डॉक्टर परेश शीलदारिया ने बताया कि चांदीपुर वायरस के लक्षण इंसेफेलाइटिस की तरह होते हैं. बुखार, उल्टी, दस्त, सिरदर्द और मिर्गी के अलावा पीड़ितों में अन्य न्यूरोलॉजिकल डिसओडर्स देखे गए हैं. कई मामलों में दिमाग में सूजन का आना, मरीज की मौत का कारण बनता है. डॉक्टरों का कहना है कि ये लक्षण दिखने पर पीड़ित को तुरंत डॉक्टर को दिखना चाहिए.
चांदीपुरा वायरस से कैसे करें बचाव
– मच्छरों के पनपने वाली जगहों पर कीटनाशकों और पेस्टीसाइड्स का छिड़काव करें.
– मच्छरों के काटने बचाने के लिए बच्चों को पूरी बाजे के कपड़े पहनाने चाहिए.
– शुरुआती लक्षण दिखें तो गंभीरता से लें, पीड़ित को तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.