रायपुर। smart City राजधानी रायपुर में स्मार्ट सिटी विवाद ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले चार साल से स्मार्ट सिटी विवादों के घेरे में है. यह विवाद है की खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अब इस पर नया मोड़ आ गया है. अब इस मामले की जाँच करने हैदराबाद से टीम पहुंची हुई है.स्मार्ट सिटी हमेशा किसी न किसी विवाद में घिरते दीखते रहता है.मामले में लम्बी चौड़ी शिकायत हुई थी. जिसके बाद 8 सदस्यीय जांच दल राजधानी रायपुर पहुंची हुई है.
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smart City राजधानी पहुंचे टीम से पूर्व मंत्री ने मुलाकात की है. भाजपा नेताओं ने जांच दल के अधिकारियों को सिलसिलेवार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में हुए भर्राशाही और गड़बडिय़ों की जानकारी दी। नेताओं ने सक्त कार्रवाई के लिए मांग पत्र भी सौंपा है। विशेषज्ञों के दल ने इसे बिंदुवार अपनी डायरी में नोट कर जांच की शुरूआत करेगी। भाजपा के आरोपों को का जवाब देते हुए महापौर एजाज ढेबर ने कहाकि वे भी चाहते है कि स्मार्ट सिटी के कार्यों में यदि भ्रष्टाचार हुआ है तो उसकी जांच हो और दोषियों को सजा भी मिले।
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यूथ हब की जमीन निगम की नहीं, फिर भी वहां स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पर कोरोड़ों खर्च कैसे हुआ। इस प्रोजेक्ट की प्लानिंग बदल कर दुकानें बना दी गई। स्मार्ट सिटी के पैसे से बने जवाहर बाजार में भी एस्केलेटर की जगह दुकानों बना दी गई। स्मार्ट सिटी के लिए 40 करोड़ में से 22 करोड़ खर्च हो गए, स्मार्ट रोड नहीं बनी, शेष 18 करोड़ का मद परिवर्तन कैसे हुआ यह जानकारी नहीं।
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smart City सप्रे स्कूल मैदान पर अब ढाई करोड़ खर्च किस हिसाब से किया गया। आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों सें 8 करोड़ का फर्नीचर व बिल्डिंग नवीनीकरण पर करोड़ों खर्च हुए। स्मार्ट सिटी के लोगों पर ही 22 लाख खर्च किया गया। बिजली के स्मार्ट पोल और चौक -चौराहों पर मनमाने ढंग से खर्च किए गए । बूढ़ा तालाब सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों की गड़बड़ी की गई। त्रिवर्षीय वृक्षारोपण कार्यक्रम पर बी 2 करोड़ खर्च हुए। करोड़ों की लागत से बनाए गए स्मार्ट टायलेट भी प्लॉप हो चुके है।