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सामाजिक बहिष्कार की शिकार पीड़िता को मिला न्याय, गांव में ही समाप्ति की होगी घोषणा, महिला आयोग ने कई प्रकरणों पर की सुनवाई

August 12, 2024 | by Nitesh Sharma

raipur

LIvekhabhar | Chhattisgarh News

रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 267 वी. सुनवाई हुई। रायपुर जिले में कुल 129 वी. जनसुनवाई।

आज की सुनवाई के दौरान आवेदिका के सामाजिक बहिष्कार को लेकर अनावेदकगण ने इंकार किया है कि उन्होंने कोई सामाजिक बहिष्कार नहीं किया है। अनावेदकगण समाज की बैठक बुलाकर आयोग की टीम के समक्ष घोषणा करने को तैयार है कि उन्होंने कोई सामाजिक बहिष्कार नहीं किया है। इस पर आवेदिका ने भी अपनी सहमति दी। इस हेतु आयोग की टीम नियत स्थान पर पहुंचेगी। जहां आवेदिका पक्ष भी उपस्थित रहेंगे। और समाज के सभी लोगो के बीच अनावेदकगण इस बात की घोषण करेंगे कि उनके द्वारा आवेदिका का सामाजिक बहिष्कार नहीं किया गया है। यदि अनावेदक पक्ष घोषणा नहीं करता है तो सभी अनावेदकगणों के विरुध्द थाने में धारा 7 के तहत अपराध पंजीबध्द कराया जायेगा।

एक अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों को सुना गया आवेदिका ने अपने आवेदन को कमबध्द तरीके से बनाकर प्रस्तुत किया था जिसके साथ सी.डी. और अनावेदक के द्वारा किये गये सोशल मीडिया में आवेदिका के खिलाफ प्रकाशन और किये जा रहे अभद्र व्यवहार का वीडियों प्रस्तुत किया है। दोनों पक्षों को सुने जाने के बाद स्पष्ट है कि इसमें आंतरिक परिवाद समिति का गठन नहीं किया गया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग को पत्र भेजकर जांतरिक परिवाद समिति का गठन कराया जाना अनिवार्य है। क्योकि दोनो पक्ष सिम्स मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर और डीन है। अतः इनकी शिकायत पर बारीकी से जांच करना आंतरिक परिवाद समिति का ही कार्य है। आयोग ने निर्देश दिया कि आंतरिक परिवाद समिति का गठन कर प्रतिवेदन 3 माह के भीतर आयोग को प्रेषित किया जाये। प्रतिवेदन आने तक प्रकरण लंबित रखा जायेगा।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है कि अनावेदक पति ने दूसरी महिला से विवाह कर लिया है और आयोग के समक्ष उसे अपनी पत्नी मानने से इंकार कर रहा है। दूसरी महिला यह भली-भांति जानती थी कि अनावेदक पहले से शादीशुदा है। फिर भी दूसरी महिला ने अनावेदक के साथ शादी कर ली. जोकि गैर-कानूनी है। जिसके लिए कड़ी कार्यवाही किया जाना आवश्यक है। दूसरी महिला को सुधरने का मौका देकर 2 माह के लिए नारी निकेतन भेजने का आदेश आयोग द्वारा दिया गया।ठीक इस तरह एक अन्य प्रकरण में भी आवेदिका ने अपने पति के खिलाफ बिना तलाक लिए दूसरी महिला से विवाह कर लिये जाने से संबंधित शिकायत की थी। दूसरी महिला यह जानते हुए भी कि अनावेदक पहले से विवाहित है और उसका एक 8 वर्ष का बच्चा है उसने आवेदिका के पति से विवाह कर लिया। अनावेदक ने कानून का उल्लंघन करते हुए अपनी पहली पत्नि से बिना तलाक लिए दूसरी महिला से विवाह कर लिया जो अपराध की श्रेणी में आता है। सुरक्षा की दृष्टि से दूसरी महिला को नारी निकेतन रायपुर भेज दिया गया।

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