Uttarkashi Tunnel Collapse : कही खिली जिंदगी, तो यहां पसरा मातम, बेटे के सिर से उठा पिता का साया

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नई दिल्ली। Uttarkashi Tunnel Collapse : 17 दिनों बाद सुरंग से सुरक्षित 41 मजदूरों को बाहर निकाला गया। ना केवल रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे लोग बल्कि फंसे मजदूरों के परिवार भी सभी के बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। बाहर निकलने के बाद सभी मजदूरों को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने स्वागत किया। सभी के चेहरों पर खुशी नजर आ रही थी, लेकिन एक ऐसा भी बेटा था जिसके सिर पर दुखों का पहाड़ टूट गया।

41 मजदूरों में झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले का रहने वाला भक्तू मुर्मू के सिर से पिता का साया उठ गया। सही-सलामत बाहर निकलने के बाद उसे पिता के निधन की जानकारी दी गई। पिता की मौत की खबर सुनते ही भक्तू फूट-फूटकर रोने लगा।

पिछले 17 दिनों से वह सुरंग के भीतर फंसे रहने के दौरान भी इसी आस में था कि जब वह बाहर निकलेगा, तो पिता से उसकी मुलाकात होगी। मगर किस्मत में कुछ और लिखा हुआ था। सुरंग में भक्तू के अलावा पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड के भी छह मजदूर शामिल थे।

नहीं सह पाए सदमा

जानकारी मुताबिक, भक्तू पूर्वी सिंहभूम जिले के बांकीशील पंचायत स्थित बाहदा गांव का रहने वाला है। उसके 70 वर्षीय पिता बासेत उर्फ बारसा मुर्मू गांव में ही थे, जब उन्हें अपने बेटे के सुरंग में फंसे होने की जानकारी मिली। मंगलवार सुबह नाश्ता करने के बाद वह खाट पर बैठे हुए थे, तभी अचनाक वह खाट से नीचे गिरे और उनका दम निकल गया। बताया गया है कि बारसा मुर्मू की बेटे की याद में सदमे में जाने के चलते मौत हो गई।

परिवार में पसरा मातम

बारसा मुर्मू के दामाद का कहना है कि जब से उन्हें बेटे के सुरंग में फंसे होने की जानकारी मिली थी, तभी से ही वह परेशान थे। निर्माणाधीन सुरंग में काम करने के लिए भक्तू का साथी सोंगा बांडरा भी उसके साथ उत्तराखंड गया था। हालांकि, जिस वक्त सुरंग में हादसा हुआ, उस वक्त बांडरा उसके बाहर था. हादसे के तुरंत बाद ही सोंगा ने भक्तू के घर पर फोन कर उसके सुरंग में फंसने की जानकारी दी थी। इसके बाद से ही बारसा बैचेन और परेशान रहने लगे थे।

वहीं, मजदूरों के परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि हादसा 12 नवंबर को हुआ, मगर उसके बाद भी इतने दिनों तक उनके दरवाजे पर कोई भी अधिकारी नहीं आया है। किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने आकर उनसे उनका हाल-चाल नहीं पूछा है। हर दिन भक्तू के परिवार को उदास करने वाली सूचना मिल रही थी, जिसकी वजह बारसा भी सदमे में चले गए थे। बारसा की मौत से उनकी पत्नी और भक्तू की मां भी सदमे में हैं।


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