देशभर में आज धूमधाम से मनाया जा रहा विश्वकर्मा जयंती, जानें महत्त्व और क्यों की जाती हैं विश्वकर्मा जी की पूजा?
September 17, 2024 | by Nitesh Sharma

रायपुर। सनातन धर्म में प्रत्येक कन्या संक्रांति को विश्वकर्मा पूजा की जाती है। इसे विश्वकर्मा दिवस या विश्वकर्मा जयंती भी कहते हैं। हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था। भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और निर्माण से संबंधित सभी कार्यों का अधिपति माना जाता है।
पुराणों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए स्वर्गीय भवन, महलों और विभिन्न अद्भुत संरचनाओं का निर्माण किया था। उनके द्वारा बनाए गए प्रमुख निर्माणों में स्वर्ग का महल, इंद्र का भवन, और लंका जैसे स्थल शामिल हैं।
कुछ धर्म ग्रंथों में भगवान विश्वकर्मा को महादेव का अवतार बताया गया है। मान्यता के अनुसार, विश्वकर्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण के लिए द्वारका नगरी का निर्माण किया था। इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने जगत के पालनहार भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र और यमराज का कालदंड, पुष्पक विमान और महादेव का त्रिशूल समेत आदि कई तरह के अस्त्र-शस्त्र का निर्माण किया था।
चारों युगों में की अद्भुत रचनाएँ
पौराणिक ग्रंथो के अनुसार कि प्राचीन काल में जितनी राजधानियां थी, प्राय: सभी विश्वकर्मा की ही बनाई कही जाती हैं। यहां तक कि सतयुग का ‘स्वर्ग लोक’, त्रेता युग की ‘लंका’, द्वापर की ‘द्वारिका’ और कलयुग का ‘हस्तिनापुर’ आदि विश्वकर्मा द्वारा ही रचित हैं।
विश्वकर्मा पूजा की शुरुआत कब से हुई ?
विश्वकर्मा पूजा की शुरुआत कब और कैसे हुई, इसके बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। विशेष रूप से निर्माण और औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले लोग, जैसे कि शिल्पकार, कारीगर, और तकनीकी पेशेवर, इस पूजा को बड़े श्रद्धा के साथ मनाते हैं। इस दिन, लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं, अपने औजारों और उपकरणों की सफाई करते हैं, और उनके काम की सफलता और सुरक्षा की कामना करते हैं।
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