रायपुर। साइंस कॉलेज में भाजपा के सदस्यता अभियान को लेकर एबीवीपी और एनएसयूआई के कार्यकर्ता में विवाद हो गया। विवाद मारपीट तक पहुंच गया। जिसके बाद सरवस्ती नगर थाना में NSUI कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज की गई। जिसके बाद पीसीसी चीफ दीपक बैज कांग्रेस नेताओं के साथ थाने पहुंचे। मामले में जमकर राजनीति हो रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने इसे लेकर कहा कि गृह मंत्री विजय शर्मा झूठ बोल रहे हैं एनएसयुआई कार्यकर्ताओं पर हमला करने वाले एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को बचाने के लिए पीड़ित का एफआईआर दर्ज होने नहीं दिए थे। मैं स्वयं और कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेताओं ने सरस्वती नगर थाना में जब 5 घंटा धरना दिये, तब दबाव में आकर पुलिस प्रशासन ने पीड़ित का एफआईआर दर्ज किया है। प्रदेश का दुर्भाग्य है कि गृह मंत्री अपराधियों को बचाने के लिए पीड़ितों के साथ अन्याय करते हैं, कानून का मखौल उड़ाते हैं क्या प्रदेश में दो प्रकार के कानून हैं भाजपा नेताओं के लिए अलग कानून और आम जनता के लिए अलग कानून हैं। बेहद दुखद और निंदनीय है कि संविधान का शपथ लेने वाले प्रदेश के गृहमंत्री स्वयं ही आरोपियों को संरक्षण दे रहे है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि प्रदेश का दुर्भाग्य है जब गृह मंत्री ही अपराधियों को बचाने के लिए पीड़ितों का एफआईआर दर्ज नहीं होने देंगे ऐसे में अपराधियों का हौसला ही बढ़ेगा और आज प्रदेश में जो लचर कानून व्यवस्था है, अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं। पीड़ित और आम जनता डरी हुई है, प्रदेश में रोज बलात्कार, हत्या, गैंग रेप, लूट, अपहरण जैसी घटनाएं हो रही है इसके लिए सिर्फ प्रदेश के गृह मंत्री जिम्मेदार हैं क्योंकि वह कानून और पुलिस को अपना काम करने नहीं दे रहें हैं। क़ानून को कठपुतली की तरह नचाना चाहते हैं। पूरे प्रदेश में यही स्थिति है थाना में एफआईआर दर्ज करने के लिए आम लोगों को पीड़ित के साथ आंदोलन करना पड़ता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि गृह मंत्री विजय शर्मा अपराध रोकने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो गए हैं और अपनी नाकामी को छिपाने के लिए वह थानों में एफआईआर दर्ज नहीं करने का निर्देश दिए हैं अनैतिक दबाव बनाते हैं। पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी कानून का पालन करने में बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं। सरस्वती नगर थाना में एफआईआर दर्ज करने के लिए जिस प्रकार से कांग्रेस को आंदोलन करना पड़ा है इससे स्पष्ट प्रमाणित होता है कि आम जनता और पीड़ित का एफआईआर दर्ज करने में क्या स्थिति रहती होगी?