Muharram 2024 : मुहर्रम की 10 वीं तारीख आज है। जिसे रोज-ए-आशुरा कहा जाता है। मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, जिसे मुहर्रम-उल-हराम के नाम से भी जानते हैं। यह इस्लाम के चार पवित्र महीनों में से एक है। मुहर्रम पैगंबर मुहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की मृत्यु के शोक का महीना है। इस दिन शिया समुदाय के लोग मातम मनाते हैं।
Read More : Health Tips : बारिश के मौसम में रहना है स्वस्थ… तो इन सब्जियों के सेवन से करें परहेज, पढ़े काम की खबर…
मुहर्रम क्या है?
इस्लामिक कैलेंडर में मुहर्रम साल का पहला महीना होता है। इस्लाम में साल के चार महीने मुहर्रम, रजब, ज़ुल-हिज्जा, ज़ुल-क़ादाह माह को बाकी महीनों पर श्रेष्ठता दी गई है। मुहर्रम का शाब्दिक अर्थ है मनाही। कुरान और हदीस के अनुसार, मुहर्रम के महीने में युद्ध या लड़ाई-झगड़ा करना निषिद्ध है। इस पवित्र महीने के समय मुसलमानों को अधिक से अधिक इबादत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
इस्लामिक इतिहास के अनुसार, मुहर्रम के महीने में कई बड़ी घटनाएं हुई हैं लेकिन उन सब में सबसे बड़ी और दुखद घटना थी हज़रत मुहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन इब्न अली और उनके परिवार का कर्बला के मैदान में निर्ममता से संहार हुआ। जिसका मातम मुहर्रम के महीने में मनाया जाता है।
इस वजह से मुहर्रम में लगाते हैं पानी की सबील
इमाम हुसैन और उनके परिवार को कूफ़ा शहर के बाहर कर्बला के मैदान में यज़ीद की फ़ौज ने घेर लिया और उनका कहीं भी आने-जाने का रास्ता बंद कर दिया. इमाम हुसैन वहां किसी युद्ध के इरादे से नहीं आए थे, इसलिए उनके पास ना हथियार थे और ना ही कोई फ़ौज. वे केवल अपने परिवार के साथ थे, जिसमें औरतें, बच्चे, भाई और बुज़ुर्ग थे. ये जानते हुए भी सत्ता में चूर यज़ीद के नुमाइंदों ने ऐसी बर्बरता दिखायी के नरसंहार से पहले उन्होंने इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों का पानी तक बंद कर दिया. यही कारण है कि दस मुहर्रम की तारीख़ के दिन अनेकों लोग जगह-जगह गरीबों के लिए पानी की सबील लगाते हैं और खाने का इंतज़ाम करते हैं. मुहर्रम की इस दसवीं तारीख को ‘आशूरा’ भी कहा जाता है.