नई दिल्ली। महिलाओं को पीरियड लीव दिए जाने से जुड़ी एक याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने साफ कहा कि यह नीति से जुड़ा मुद्दा है और इस पर न्यायालय को विचार नहीं करना चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए केंद्र को राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श कर एक नीति बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट कहा कि महिलाओं को इस तरह की छुट्टी देने के बारे में निर्णय प्रतिकूल और ‘हानिकारक’ साबित हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा आदेश देने से नियोक्ता महिलाओं को काम पर रखने से बच सकते हैं।
बता दे कि वर्तमान में, बिहार और केरल देश के दो ऐसे राज्य हैं, जहाँ मासिक धर्म अवकाश का प्रावधान है। जहाँ बिहार में महिला कर्मचारियों के लिए दो दिन की छुट्टी की नीति है, वहीं केरल में महिला छात्रों के लिए तीन दिन की मासिक छुट्टी का प्रावधान है।