कोरबा। CG News : खान मंत्रालय ने 29 नवम्बर से महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों (Critical and Strategic Minerals) की पहली किश्त की नीलामी प्रक्रिया प्रारंभ की है। इसके तहत देशभर में स्थित 20 मिनरल्य ब्लॉक्स के लिए बोली लगाई जाएगी।
इसमें छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित कटघोरा- घुचापुर में स्थित लिथियम ब्लॉक (Katghora Lithium and REE Block) भी सम्मिलित है। सर्वे के अनुसार यहां पर्याप्त मात्रा में रेअर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements) की उपलब्धता है।
कटघोरा- घुचापुर में 256.12 हेक्टेयर में लिथियम ब्लॉक फैला हुआ है। इसमें 84.86 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड है। यहां लिथियम एंड री ब्लॉक का जी- 4 सर्वे हो चुका है। सर्वे के अनुसार यहां पर्याप्त मात्रा में रेअर अर्थ एलिमेंट्स की उपलब्धता है। महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की नीलामी प्रक्रिया 29 नवम्बर से प्रारंभ की गई है। निविदा दस्तावेजों की बिक्री का कार्य 16 जनवरी, 2024 तक चलेगा। बोली जमा करने की अंतिम तिथि 22 जनवरी निर्धारित की गई है।
नीलामी से जुटाया गया राजस्व राज्य सरकार को भी मिलेगा। जानकारी के अनुसार क्षेत्र में लिथियम की उपलब्धता को लेकर सर्वे किया गया था। 100 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र से 138 नमूने एकत्र किए गए थे। इन नमूनों की जांच के बाद पता चला कि यहां रेअर अर्थ एलिमेट्स के साथ ही इससे संबंधित तत्वों की पर्याप्ता मात्रा में मौजूदगी है। यहां बताना होगा कि भारत अब लिथियम को लेकर चीन से अपनी निर्भरता पूरी तरह से खत्म करने के प्रयास में है।
अधिग्रहण से विस्थापन की बड़ी समस्या
लिथियम खनन के लिए सैकड़ों एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा जिससे, विस्थापन की बड़ी समस्या उत्पन्न होगी , कटघोरा के महेशपुर, नवागांव में वार्ड क्रमांक 7 और 5 तथा ग्राम पंचायत रामपुर पूरी तरह से प्रभावित होगा ,बड़ी संख्या में ग्रामीणों को विस्थापित किया जाएगा,
क्या है लिथियम
लिथियम एक रासायनिक पदार्थ है, जिसे सबसे हल्की धातुओं की श्रेणी में रखा जाता है। यहां तक कि धातु होने के बाद भी ये चाकू या किसी नुकीली चीज से आसानी से काटा जा सकता है। इस पदार्थ से बनी बैटरी काफी हल्की होने के साथ-साथ आसानी से रिचार्ज हो जाती है। लिथियम का इस्तेमाल रिचार्जेबल बैटरियों में होता है और इस क्षेत्र में चीन का भारी दबदबा है। REE के विशिष्ट गुणों के कारण इसका इस्तेमाल स्मार्ट फोन, एचडी डिस्प्ले, इलेक्ट्रिक कार, वायुयान के महत्त्वपूर्ण उपकरण, परमाणु हथियार और अंतरिक्ष कार्यक्रमों के साथ कई अन्य महत्त्वपूर्ण तकनीकी विकास में होता है।
आसान होगा स्वदेशी बैटरी निर्माण
लिथियम के स्रोत पर अधिकार होने के बाद भारत के लिए अपने देश के अंदर ही बड़े स्तर पर बैटरी निर्माण करना आसान हो जाएगा। नीति नीति आयोग इसके लिए एक बैट्री मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम भी तैयार कर रही है जिसमें भारत में बैटरी की गीगाफैक्ट्री लगाने वालों को छूट भी दी जाएगी। भारत में लिथियम आयन बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक व्हीकल की कुल कीमत भी काफी कम होगी, क्योंकि बैटरी की कीमत ही पूरी गाड़ी की कीमत का लगभग 30 फीसदी होती है।
एक टन की कीमत 57.36 लाख रुपए
दुनिया भर में भारी मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है। ग्लोबल मार्केट में एक टन लीथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपए है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इस लिहाज से भारत में लिथियम का अपार भण्डार मिलना देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा संकेत है।
विदेशों में माइंस खरीदने की तैयारी
साल 2019 में खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड ( (Khanij Bidesh India Ltd)) नाम से एक कंपनी बनाई गई। ये कंपनी तीन सरकारी कंपनियों को मिलाकर बनाई गई है। इसका मकसद लिथियम जैसे तत्वों को विदेशों से मंगाना है ताकि एनर्जी के क्षेत्र में देश पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो सके। अर्जेंटीना की एक फर्म से समझौता इसी दिशा में कदम है। उसके पास लिथियम का 3.32 टन से ज्यादा का भंडार है।
खनन के दुष्प्रभाव
- दुर्लभ मृदा तत्त्व अंतरिक्ष तथा अन्य तकनीकी विकास के लिये बहुत ही आवश्यक हैं, लेकिन इसके खनन के अनेक दुष्प्रभाव भी हैं :
- प्राकृतिक तटों और उन पर आश्रित पारिस्थितिकी प्रणालियों की क्षति।
- कई महत्त्वपूर्ण और दुर्लभ प्रजातियों के वास स्थान इस प्रक्रिया में नष्ट हो जाते हैं।
- तटों के प्राकृतिक तंत्र की हानि जिससे मृदाक्षरण जैसी अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- दुर्लभ मृदा तत्त्वों के खनन तथा प्रसंस्करण से बड़ी मात्रा में जल प्रदूषण होता है तथा Monazite जैसे तत्त्वों में यूरेनियम (0.4%) की उपस्थिति से इसके खतरे और भी बढ़ जाते हैं।